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नर्मदापुरम कलेक्टर की चिट्ठी मामले में हाई कोर्ट का कड़ा एक्शन, छिनेंगे न्यायिक अधिकार जाएंगे ट्रेनिंग पर - High Court Action Collector Sonia

हाई कोर्ट के जज को सीधे चिट्ठी लिखना नर्मदापुरम कलेक्टर को भारी पड़ गया है. हाई कोर्ट ने कलेक्टर सोनिया मीणा के खिलाफ कार्रवाई करने के सीएस को निर्देश दिए हैं.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 31, 2024, 10:34 AM IST

ACTION AGAINST COLLECTOR SONIA
हाई कोर्ट ने नर्मदापुरम कलेक्टर के खिलाफ की कार्रवाई (ETV Bharat)

नर्मदापुरम: जमीन से जुड़े मामले में नर्मदापुरम कलेक्टर द्वारा एडीएम के हाथों हाई कोर्ट को चिट्ठी भेजना भारी पड़ गया. बता दें कि करीब एक सप्ताह पहले कलेक्टर सोनिया मीणा ने एडीएम डीके सिंह के माध्यम से एक चिट्ठी पहुंचा कर हाई कोर्ट में उपस्थित नहीं होने की बात कही थी. इस पूरे वाक्ये पर जस्टिस जीएस अहलूवालिया नाराज हो गए थे और उन्होंने सीधे जज को चिट्ठी देने पर कलेक्टर और एडीएम को फटकार लगाई थी.

कलेक्टर पर कार्रवाई के दिए निर्देश

हाई कोर्ट ने अब जमीन से जुड़े मामले को लेकर तीनों के खिलाफ सीएस वीणा राणा को पत्र लिखकर कहा कि अधिकारियों को कानून का ज्ञान नहीं है. इन्हें ट्रेनिंग पर भेजा जाए. साथ ही एडीएम और तहसीलदार से न्यायिक अधिकार छीने जाए. मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को नर्मदापुरम कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही मुख्य सचिव को 30 अगस्त तक कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट के रजिस्ट्रार के समक्ष पेश करने की बात कही है.

अधिकारियों को ट्रेनिंग पर भेजने के आदेश

कोर्ट की प्रक्रिया और केस की कार्यवाही के दौरान एडिशनल कलेक्टर नर्मदापुरम देवेंद्र कुमार सिंह और राकेश खजूरिया तहसीलदार सिवनी मालवा जिला नर्मदापुरम द्वारा किए गए एक्शन को लेकर भी कोर्ट ने असंतुष्टि जताई. इसको लेकर कोर्ट ने दोनों को 6 माह की ट्रेनिंग पर भेजने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारियों से सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के आदेश के साथ कानून को समझने में चूक हुई है. इसलिए उन अधिकारियों को दया पर नहीं छोड़ा जा सकता, जो मामले को समझने की स्थिति में नहीं हैं.

यह था मामला

जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि एडिशनल कलेक्टर को लगता है कि मेरी कलेक्टर कुछ भी कर सकती हैं. मजाक बनाकर रखा हुआ है. जब डिप्टी एडवोकेट जनरल कलेक्टर की तरफ से बात कर रहे हैं, तो वह पीछे खड़े होकर मुझे कलेक्टर का लेटर दिखा रहे हैं. जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि सीधे सस्पेंड करने के निर्देश देता हूं, फिर देखता हूं कैसे सीएस उसे रिमूव करते हैं. आप लोगों के अफसर की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि आपको कुछ नहीं समझते हैं. इस दौरान जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कोई भी अधिकारी अपनी बात सरकारी वकील के जरिए कोर्ट में रख सकता है. इस तरह सीधे जज को चिट्ठी नहीं भेज सकता.

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नामांतरण की जगह करने लगे थे बंटवारा

नर्मदापुरम के नितिन अग्रवाल और प्रदीप अग्रवाल के बीच जमीन से जुड़ा विवाद चल रहा था. विवाद नहीं सुलझने पर प्रदीप अग्रवाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नामांतरण की प्रक्रिया नए सिरे से करने के आदेश दिए थे. पूरे मामले में नामांतरण की कार्रवाई न करते हुए सिवनी मालवा के तहसीलदार ने दूसरे पक्ष नितिन अग्रवाल से बंटवारे का आवेदन रिकॉर्ड में लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी थी. हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद नामांतरण ना करते हुए बंटवारे की प्रक्रिया चालू करने पर प्रदीप अग्रवाल ने रिवीजन आवेदन अपर कलेक्टर को सौंपा था. वही तहसीलदार की कार्रवाई को हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना था, लेकिन अपर कलेक्टर ने तहसीलदार की कार्रवाई को सही माना. इसके बाद फरियादी दोबारा हाई कोर्ट पहुंच गया. इस मामले में हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नर्मदापुरम कलेक्टर को उपस्थित होकर जमीन के पूरे मामले की कार्रवाई समझाने को कहा था.

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