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पर्यटन विकास निगम ने जमा नहीं की थी आर्बिट्रेशन अवॉर्ड राशि, हाईकोर्ट ने मांगा दोषी अफसरों का ब्यौरा

हिमाचल हाईकोर्ट ने आर्बिट्रेशन अवॉर्ड राशि जमा नहीं करने वाले हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के दोषी अधिकारियों का ब्यौरा मांगा है.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 25, 2024, 10:08 PM IST

शिमला: पहले से ही घाटे में चल रहे हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने फिर से नाराजगी जताई है. पर्यटन विकास निगम की तरफ से एक मामले में आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की राशि जमा न करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक को आदेश जारी किए हैं कि वो उन अफसरों का ब्यौरा अदालत के समक्ष पेश करें जो आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की राशि जमा न करवाने के लिए जिम्मेदार हैं. अदालत ने इस मामले में कोई सख्त कदम उठाने से पहले पर्यटन विकास निगम प्रबंधन को एक अवसर दिया है. अवॉर्ड की राशि जमा करवाने के लिए निगम को मौका दिया गया है.

इस मामले में हाईकोर्ट के समक्ष पूरा रिकॉर्ड रखा गया था. रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया कि मामले में प्रतिवादी पर्यटन विकास निगम को अवॉर्ड की रकम जमा करने के लिए दो अवसर दिए गए. इसके बावजूद ये रकम जमा नहीं की गई. इस पर न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने खेद जताया और कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि निगम को सरकारी खजाने की परवाह नहीं है. प्रतिवादी पर्यटन विकास निगम को यह एहसास ही नहीं है कि अवॉर्ड की राशि जमा करने में देरी के परिणामस्वरूप मूल रकम पर दिन-प्रतिदिन ब्याज अर्जित हो रहा है. मूल रकम पर पड़े रहे ब्याज की अदायगी प्रतिवादी पर्यटन विकास निगम के संबंधित अफसरों ने अपनी जेब से नहीं करनी है. इस रकम को सरकारी खजाने यानी आम करदाता की गाढ़ी कमाई के पैसे से चुकाया जाएगा.

हाईकोर्ट ने प्रतिवादी पर्यटन विकास निगम की तरफ से मामले में पेश एडवोकेट के आग्रह करने पर निगम को अवॉर्ड की राशि ब्याज के साथ जमा करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. इसके अलावा प्रतिवादी निगम के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें, जिसमें उन अफसरों का विवरण हो जो अवॉर्ड की राशि जमा करने में देरी के लिए जिम्मेदार हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि उनका विवरण इसलिए जरूरी है. ताकि ब्याज के भुगतान के संबंध में उन पर व्यक्तिगत जिम्मेवारी तय की जा सके. हाईकोर्ट ने अब इस मामले पर सुनवाई 11 नवंबर को तय की है.

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