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महिलाओं से वसूलते थे शौचालय शुल्क, HC की सख्ती से सुधरी हालत, अब IGMC अस्पताल को भी व्यवस्था ठीक करने के निर्देश - High Court on toilet Cleanliness

High Court on toilet Cleanliness: आईजीएमसी अस्पताल में शौचालयों की खराब हालत को लेकर हाईकोर्ट ने तुरंत एक्शन लेकर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा दो हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है.

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat फाइल फोटो)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 6:49 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सुलभ इंटरनेशनल के शौचालयों में महिलाओं से 5 से 10 रुपए टॉयलेट शुल्क वसूला जा रहा था. इस बारे में मीडिया में आई रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई और शुल्क वसूली पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही सुलभ इंटरनेशनल प्रबंधन को भी आदेश दिए थे कि भविष्य में ऐसा न हो, ये सुनिश्चित किया जाए.

इसी बीच मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र यानी एमिकस क्यूरी ने अदालत को बताया कि आईजीएमसी अस्पताल में भी शौचालयों की हालत खराब है. इस पर हाईकोर्ट ने विशेष सचिव (स्वास्थ्य) व आईजीएमसी अस्पताल के एमएस को उचित निर्देश दिए हैं साथ ही दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

विक्ट्री टनल शौचालय इंचार्ज बर्खास्त

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सुलभ इंटरनेशनल की तरफ से अदालत में बताया गया कि शिमला में विक्ट्री टनल के पास स्थित शौचालय इंचार्ज को महिलाओं से पैसे वसूलने की शिकायत पर बर्खास्त कर दिया गया है. इसके साथ ही उपनगर संजौली में पुलिस पोस्ट के पास पैसे वसूलने की शिकायत पर इंचार्ज को नोटिस जारी किया गया है.

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में मीडिया की भी सराहना की. हाईकोर्ट ने कहा महिलाओं के लिए स्वच्छ शौचालयों की सुविधा से जुड़ी खबरें मीडिया में प्रमुखता से आती रही हैं. ये सराहना के लायक काम है.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा महिलाओं को स्वच्छ शौचालय सुविधा देना जरूरी है. शौचालय शुल्क वसूलना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि अदालती आदेश की अवमानना भी है.

सुनवाई के दौरान सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन ने कोर्ट में बताया कि शुल्क वसूलने वाले इंचार्ज पर एक्शन लिया गया है. इस पर हाईकोर्ट ने सुलभ इंटरनेशनल प्रबंधन से आशा जताई कि वह अदालती आदेश का गंभीरतापूर्वक पालन करेंगे. यदि ऐसा न हुआ तो मजबूरन अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करनी पड़ेगी.

मामले की पैरवी कर रहे कोर्ट मित्र ने इसके अलावा आईजीएमसी अस्पताल में शौचालयों की दुर्दशा का अदालत में ब्यौरा दिया. इस पर अदालत ने विशेष सचिव (स्वास्थ्य) और इसके साथ ही दो हफ्ते में अदालत के समक्ष स्थिति स्पष्ट करने को कहा. मामले पर अगली सुनवाई 19 जुलाई को निर्धारित की गई है.

बुनियादी स्वच्छता जरूरी

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कोई भी इंसान तब तक गरिमा के साथ नहीं रह सकता जब तक उसके लिए बुनियादी स्वच्छता की सार्थक सुविधाएं न हों. भारत का संविधान तब तक सार्थक नहीं हो सकता जब तक जनता, खासकर महिलाओं को स्वच्छ शौचालयों की सुविधा नहीं दी जाती.

ये सुविधाएं कस्बों, बस अड्डों, बैंकों, सार्वजनिक कार्यालयों, नगरपालिका कार्यालयों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि में प्रदान की जानी जरूरी है. हाईकोर्ट ने कहा इसे समझने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है. स्वच्छ और उचित शौचालय सुविधाओं की कमी के कारण गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इसके साथ ही सड़कों के किनारे व नेशनल हाईवे के किनारे भी स्वच्छ शौचालय जरूरी हैं.

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