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स्ट्रीट वेंडर्स के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - High Court on street vendor - HIGH COURT ON STREET VENDOR

राजस्थान हाईकोर्ट ने नेशनल ह्यूमन राइट एंड सोशल जस्टिस ऑर्गनाइजेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को कहा है कि वह याचिकाकर्ता संगठन के उन स्ट्रीट वेंडर्स सदस्यों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे, जिसके पास निगम की ओर से दिए पहचान पत्र नहीं हैं.

HIGH COURT ON STREET VENDOR
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 30, 2024, 9:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को कहा है कि वह याचिकाकर्ता संगठन के उन स्ट्रीट वेंडर्स सदस्यों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे, जिसके पास निगम की ओर से दिए पहचान पत्र नहीं हैं. वहीं, अदालत ने गृह सचिव, स्थानीय निकाय सचिव, जेडीए, नगर निगम और डीजीपी से जवाब मांगा है. अदालत ने स्ट्रीट वेंडर्स को कहा है कि वे अतिक्रमण न करें. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश नेशनल ह्यूमन राइट एंड सोशल जस्टिस ऑर्गनाइजेशन की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता संजय जोशी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2011 के प्रावधानों को लागू नहीं किया है. इन प्रावधानों के अनुसार ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम को स्ट्रीट वेंडर्स को आईडी कार्ड जारी करने थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जयपुर शहर में करीब दो लाख स्ट्रीट वेंडर्स में से करीब आठ हजार को ही पहचान पत्र जारी किए गए हैं, जबकि हाईकोर्ट ने 31 जुलाई 2017 को आदेश जारी कर छह माह में पूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद भी एक्ट के प्रावधानों की पालना नहीं हुई और न ही आईडी कार्ड जारी किए गए हैं. बिना आईडी कार्ड उनके खिलाफ पुलिस और नगर निगम के अफसर कार्रवाई करते हैं. इसके अलावा ग्रेटर निगम ने गत 15 मार्च को प्रस्ताव लिया कि वेंडिंग जोन और परिचय पत्र स्थानीय पार्षद की एनओसी के बिना जारी नहीं किए जाएंगे.

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याचिका में कहा गया कि शहर में 86 वेंडिंग जोन घोषित करने थे, लेकिन अब तक सिर्फ 13 वेंडिंग जोन की घोषित किए गए हैं. याचिका में गुहार की गई है कि एक्ट के प्रावधानों की पालना की जाए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगते हुए याचिकाकर्ता संगठन के सदस्यों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा है.

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