रांची: झारखंड में बालू को लेकर हमेशा से राजनीति होती रही है. इस मसले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में बड़ी घोषणा की है. अनुपूरक बजट पर चर्चा के बाद उन्होंने कहा कि झारखंड के वैसे गरीब जो इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं, उन्हें आवास निर्माण के लिए सरकार मुफ्त में बालू मुहैया कराएगी. उन्होंने कहा कि बार-बार यह मसला उठता है. अबुआ आवास, पीएम आवास या व्यक्तिगत रूप से घर बनाने के लिए बालू की जरूरत होती है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ता है. इसलिए सरकार ने टैक्स के दायरे से बाहर गरीबों को मुफ्त में बालू मुहैया कराने का फैसला लिया है.
इससे पहले अनुपूरक बजट पर भाजपा विधायक अनंत ओझा के कटौती प्रस्ताव के पक्ष में बोलते हुए भानु प्रताप शाही ने बालू के मसले पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. उन्होंने कहा कि हाईवा वाले यहां से बालू लेकर निकल जाते हैं. लेकिन गरीब जब अपने घर के लिए ट्रैक्टर से बालू मंगवाते हैं तो ट्रैक्टर को पुलिस जब्त कर लेती है. उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार की वजह से झारखंड में बालू सोना बन गया है. जब भी हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनती है तो झारखंड से बालू गायब हो जाता है.
इस बीच भाजपा विधायकों की गैरमौजूदगी में 4833.39 करोड़ का अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. प्रभारी मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने बताया कि अनुपूरक बजट की क्यों जरूरत पड़ी है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 125 यूनिट से बढ़ाकर 200 यूनिट फ्री बिजली देने का फैसला लिया है. इसके लिए राशि की जरूरत है. बिजली मीटर लगाने की प्रक्रिया जारी है.
मुख्यमंत्री मईंया सम्मान योजना के तहत करीब 45 लाख महिलाओं को हर माह 1000 रु देना है. इसके लिए 872 करोड़ की जरूरत है. प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में केंद्रांश के समरूप राज्यांश के तहत पैसा देना है. आपदा मद में खर्च के लिए राशि की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सुखाड़ का यह तीसरा साल चल रहा है. प्रभारी मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि झारखंड की वित्तीय व्यवस्था अच्छी स्थिति में है. सिंकिंग फंड में राज्य सरकार ने 2272 करोड़ संरक्षित रखे हैं. इससे कम दर पर लोन लेने में मदद मिलेगी. लिहाजा, अनुपूरक बजट से राजकोष पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा.