शिमला:हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटीयों को जनजातीय का दर्जा देने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टल गई. हाई कोर्ट ने इस संबंध में जारी कानून के अमल पर रोक लगा रखी है. कोर्ट ने अगली सुनवाई तक इस रोक को बढ़ाने के आदेश जारी किए. कोर्ट ने जनजातीय विकास विभाग हिमाचल प्रदेश के 1 जनवरी 2024 को जारी उस पत्र पर भी रोक लगाई है जिसके तहत उक्त क्षेत्र के लोगों को जनजातीय प्रमाण पत्र जारी करने बाबत जिलाधीश सिरमौर को आदेश जारी कर दिए गए थे.
मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा इस मामले से जुड़ी याचिकाओं का जवाब दायर करने लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई. जिस कारण मामले पर सुनवाई 27 मई के लिए टल गई. यह मामला साल 1995, 2006 व 2017 में ट्रांसगिरी क्षेत्र के लोगों को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिए जाने बाबत केंद्र सरकार के समक्ष भेजा गया था और केंद्र सरकार ने हर बार इस मामले को तीन प्रमुख कारणों से नकार दिया था.
इन कारणों में एक तो उक्त क्षेत्र की जनसंख्या में एकरूपता का न होना बताया गया, दूसरा हाटी शब्द सभी निवासियों को कवर करने वाला एक व्यापक शब्द है, जबकि तीसरा कारण था कि हाटी किसी जातीय समूह को निर्दिष्ट नहीं करते हैं. कोर्ट ने कानूनी तौर पर इन्हें जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिया जाना प्रथम दृष्टया वाजिब नहीं पाया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण के ही उक्त क्षेत्र की जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया.