अजमेर. मानव शरीर के कोमल अंगों में से एक नेत्र है. नेत्र ही है जिससे ईश्वर के बनाए हुए खूबसूरत संसार को देखते हैं. आयुर्वेद के मुताबिक 5 ज्ञानेंद्रिय में से एक नेत्र है. कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल यह आम जीवन का हिस्सा बन गए हैं. तकनीकी युग में नेत्रों का ख्याल रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है. यही वजह है कि कम उम्र में भी नेत्र रोग होने के साथ नेत्र ज्योति भी कमजोर होने लगी है. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा से जानते है हेल्थ टिप्स...
आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक बीएल मिश्रा बताते हैं कि पंचमहाभूत से बने मानव शरीर में पांच ज्ञानेंद्रिय और पांच अधिष्ठान होते हैं. इनमें नेत्र भी ज्ञानेंद्रियों में शामिल है. उन्होंने बताया कि मानव शरीर के निर्माण में वात पित्त और कफ का बराबर संयोग होना आवश्यक है. पित्त का एक अधिष्ठान नेत्र है. आयुर्वेद के मुताबिक पित्त का दूसरा नाम आलोचक (तेजस) है. इससे रोशनी, रंग देखना आदि आलोचक (तेजस) पित्त का होता है.
उन्होंने बताया कि पित्त और कफ की समानता से नेत्र से हम देख पाते हैं. यानी सामने की वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र के पीछे के पटल पर निर्धारित बिंदु पर पड़ता है, तब सामने वाली वस्तु का आकार नजर आता है. जिस वस्तु का ज्ञान होता है. नेत्र में पित्त वात और कफ की असमानता होने पर नेतृत्व से संबंधित विभिन्न रोग उत्पन्न होते हैं. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में नेत्र के 76 प्रकार के रोग होते हैं. इनमें ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, निकट दृष्टि और दूर दृष्टि दोष, आंखों का सूखना या आंखों से पानी आना आदि शामिल है. रक्त में शर्करा बढ़ाने के कारण नेत्र रोग होते हैं.
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खुद बनें अनुशासित: डॉ मिश्रा बताते हैं कि हमारे दैनिक जीवन में तकनीक का उपयोग काफी बढ़ गया है. मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं. शिक्षा, व्यवसाय, मनोरंजन के लिए इन गैजेट्स का इस्तेमाल भी काफी होने लगा है. हर उम्र के लोग मोबाइल को घंटे इस्तेमाल करते हैं. वहीं व्यवसाय और कार्यालय में काम के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप पर भी लोग घंटा बैठते हैं. इस कारण नेत्र ज्योति कमजोर होने लगती है. आवश्यक काम होने पर ही मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाए. मनोरंजन के चक्कर में लोग अपनी आंखों का नुकसान नहीं करें. स्क्रीन टाइम जितना कम होगा, उतना ही नेत्र ज्योति को नुकसान होने से बचाया जा सकता है. इसके लिए व्यक्ति को खुद अनुशासित होना होगा. लगातार मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम कर रहे हैं तो बीच-बीच में आंखों को आराम दें.