शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस थाना और चौकियों में सीसीटीवी कैमरे लगाने से जुड़े मामले में डीजीपी को शपथपत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए. शपथ पत्र में डीजीपी को यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या पुलिस चौकियों में सीसीटीवी कैमरे उचित स्थान पर लगाए गए हैं.
अदालत ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ये निर्देश जारी किए. अदालत ने हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है कि पुलिस थानों में लगाए गए सीसीटीवी के स्टीक स्थान के बारे में जानकारी दें. विशेष रूप से इस बारे में बताएं कि क्या सीसीटीवी कैमरों की ओर से पूरा थाना क्षेत्र कवर हो रहा है या नहीं.
अदालत ने सीसीटीवी की बेहतर स्थिति के लिए सुझाव भी मांगे हैं. अदालत ने अगली सुनवाई को इस मामले में सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने डीजीपी को यह स्पष्ट करने को कहा है कि इस मामले में 12 मार्च 2024 को दिए हाईकोर्ट के आदेशों पर क्या कार्रवाई की गई. उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने डीजीपी को शपथपत्र दायर कर यह बताने को कहा था कि क्या पुलिस थानों में स्थापित सीसीटीवी कैमरे ऐसे स्थानों पर लगाए गए हैं, जिससे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले रिकॉर्ड हो सके. कोर्ट ने डीजीपी को कैमरों लगाने के लिए उचित स्थान संबंधी सुझावों पर गौर कर उचित कार्यवाई करने के आदेश भी दिए थे.
कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट लेवल ओवरसाइट कमेटियों को आदेश दिए थे कि वो समय समय पर सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर पता लगाए कि क्या पुलिस स्टेशनों में मानवाधिकारों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है. कोर्ट ने स्टेट लेवल ओवरसाइट कमेटी की लंबे अंतराल के बाद बैठकों के आयोजन को गंभीरता से लेते हुए इन बैठकों का समय समय पर आयोजन करने के आदेश भी दिए थे. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरों की स्थापना के मुद्दे पर राज्य स्तरीय निरीक्षण समिति को 5 बिंदुओं पर हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए थे.
समिति को आदेश दिए गए थे कि वह शपथ पत्र के माध्यम से बताए कि सीसीटीवी कैमरे और अन्य उपकरण खरीदने, उनका वितरण करने और उनको स्थापित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. इसके लिए बजट प्राप्त करने और सीसीटीवी एवं उपकरणों की देखरेख और निरंतर निगरानी के लिए उठाए गए कदमों से भी हलफनामे के जरिए कोर्ट को अवगत करवाने के आदेश जारी किए गए थे. कोर्ट ने जिला स्तरीय निरीक्षण समिति को भी उपरोक्त कदमों सहित पुलिस स्टेशन अथवा चौकियों में मानवाधिकार के उल्लंघन जांचने के लिए सीसीटीवी फुटेज का पुनरावलोकन करने बारे उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी शपथपत्र के माध्यम से तलब की था. यह आदेश पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस द्वारा दायर याचिका पर पारित किए गए हैं.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी की स्थापना सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रही है. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि परमवीर सिंह सैनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को हर थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार निर्देशों को लागू करने में विफल रही है. प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय निगरानी समिति और मंडल आयुक्त की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय निगरानी समिति का कर्तव्य हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी स्थापित करना है और उनका रखरखाव करना भी है.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, पुलिस स्टेशन के मुख्य द्वार, सभी लॉक-अप, सभी गलियारों, लॉबी/रिसेप्शन एरिया में कैमरे लगाए जाने जरूरी हैं. सभी बरामदे/आउटहाउस, इंस्पेक्टर का कमरा, सब इंस्पेक्टर का कमरा, लॉक-अप रूम के बाहर का क्षेत्र, स्टेशन हॉल, पुलिस स्टेशन परिसर के सामने, वॉशरूम/शौचालय के बाहर, ड्यूटी ऑफिसर का कमरा और पुलिस स्टेशन के पीछे का हिस्सा भी सीसीटीवी की निगरानी में आने हैं.
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