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DLB निदेशक हाजिर होकर बताएं कि हेरिटेज मेयर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति को लेकर अब तक निर्णय क्यों नहीं- हाईकोर्ट - HC on Prosecution approval

जयपुर हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन ​स्वीकृति को लेकर अब तक निर्णय नहीं लेने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने डीएलबी निदेशक को हाजिर होकर कारण बताने का कहा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 3, 2024, 8:51 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने डीएलबी निदेशक को 9 सितंबर को हाजिर होकर बताने को कहा है कि हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ एसीबी की ओर से पेश अभियोजन स्वीकृति के आवेदन पर अब तक निर्णय क्यों नहीं लिया गया है. अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया है कि जब एसीबी ने अपनी जांच रिपोर्ट में मुनेश गुर्जर के खिलाफ जुर्म प्रमाणित मान लिया है तो अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी गई. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश सुधांशु सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनुराग शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 19 में प्रावधान है कि अभियोजन स्वीकृति को लेकर तीन माह में निर्णय लेना होता है. वहीं जिन मामलों में कानूनी राय की आवश्यकता हो, तो एक माह अतिरिक्त लिया जा सकता है. एसीबी ने मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लेने के लिए एलबी निदेशक को लिखा है, लेकिन चार माह बीतने के बाद अब तक उस पर निर्णय नहीं लिया गया है. जबकि एसीबी अपने स्तर पर मुनेश गुर्जर और उनके पति सहित अन्य के खिलाफ जुर्म प्रमाणित मान चुकी है. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह अभियोजन स्वीकृति से जुड़े प्रकरण को जल्दी तय करे. जिससे एसीबी आरोप पत्र कोर्ट में पेश कर सके. वहीं पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से भी प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में पक्षकार बनने की गुहार की.

पढ़ें:Special : मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की फाइल पेंडिंग, यूडीएच मंत्री के साइन का इंतजार - Mayor Munesh Gurjar case

गौरतलब है कि हेरिटेज मेयर के पति सुशील गुर्जर की ओर से नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में एसीबी की कार्रवाई के बाद राज्य सरकार ने मुनेश को निलंबित कर दिया था. इस निलंबन आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने निलंबन आदेश वापस ले लिया था, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने जांच के बाद मुनेश गुर्जर को 22 सितंबर को दोबारा निलंबित कर दिया था. हाईकोर्ट ने दिसंबर 2023 के आदेश से मुनेश का निलंबन रद्द कर दिया था.

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