चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. दोनों दलों की तरफ से अभी तक उम्मीदवारों को लेकर मंथन जारी है. दस साल बाद सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही बीजेपी अभी तक उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं कर पाई है. वहीं सत्ता में एंट्री का सपना देख रही कांग्रेस भी उम्मीदवारों के नाम पर मंथन कर रही है. दोनों ही पार्टियां अभी तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं कर पाई है. दोनों दलों यानी बीजेपी और कांग्रेस के लिए उम्मीदवार घोषित करना चुनौती बना हुआ है.
बीजेपी के सामने क्या है चुनौतियां? दस साल सत्ता में रहने वाली बीजेपी लोकसभा चुनाव के बाद हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. सीईसी की बैठक होने के बाद उम्मीदवारों के नामों को लेकर चर्चा जैसे ही शुरू हुई, वैसे ही पार्टी के नेताओं की अलग-अलग आवाजें सामने आने लगी. जिसके बाद पार्टी ने उम्मीदवारों की सूची को होल्ड पर डाल दिया. ऐसा आखिर क्यों हुआ? क्यों पार्टी उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं करवाई? क्यों अभी भी पार्टी मंथन कर रही है?
बीजेपी नेताओं के बीच नाराजगी की आशंका! उम्मीद की जा रही थी कि 29 अगस्त को सीईसी की बैठक के बाद बीजेपी उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है, लेकिन मीडिया में बीजेपी उम्मीदवारों के नाम की सूची पर जैसे ही चर्चा शुरू हुई, उसके बाद पार्टी नेताओं के बयान आने शुरू हुए. इसके बाद पार्टी ने लिस्ट होल्ड कर दी. चर्चा होने लगी की नेताओं के बीच जिन नामों पर चर्चा हुई. इन पर नाराजगी है. इसके बाद पार्टी ने फिर से उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने और सभी नेताओं को साधने की कवायद शुरू कर दी.
बीजेपी के लिए दक्षिण हरियाणा बना चुनौती! बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस बार दक्षिण हरियाणा बना हुआ है. दक्षिण हरियाणा और जीटी रोड बेल्ट ऐसे इलाके हैं. जहां से बीजेपी ने दो बार 2014 और 2019 में जीत दर्ज की. अगर पार्टी को तीसरी बार सत्ता में आना है, तो पार्टी को इन दोनों इलाकों में फिर से शानदार प्रदर्शन करना होगा. वहीं सीईसी की बैठक के बाद दक्षिण हरियाणा के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत की नाराजगी सामने आई. माना जा रहा है कि वो कम से कम 8 से 9 अपने करीबी नेताओं को चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं, लेकिन पार्टी के अंदर इसको लेकर नाराजगी भी है. खासतौर दक्षिण हरियाणा राव इंद्रजीत के साथ ही राव नरबीर और सुधा यादव जैसे नेताओं के बीच तालमेल बैठाना चुनौती बना हुआ है.
अपनों के लिए टिकट की मांग बनी चुनौती! बीजेपी के सामने इस बार हरियाणा में जहां एंटी इनकंबेंसी चुनौती बना है. वहीं दिग्गज नेताओं का अपने बेटा बेटियों के लिए टिकट की मांग भी बड़ी परेशानी बनी हुई है. एक तरफ केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत अपनी बेटी के लिए टिकट मांग कर रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर बेटे के लिए दांव लगा रहे हैं. किरण चौधरी बेटी के लिए, तो नवीन जिंदल मां और पत्नी, वहीं कुलदीप बिश्नोई बेटे, भाई और करीबी के लिए टिकट मांग रहे हैं. ऐसे में बीजेपी का टिकट मंथन चुनौती बना हुआ है.
सुरक्षित सीट की तलाश में नेता: हरियाणा में दस साल से बीजेपी सत्ता में बनी हुई है. ऐसे में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का डर बना हुआ है. माना जा रहा है कि पार्टी के कई नेता अपनी मौजूदा सीट से जीत को लेकर भी आश्वस्त नहीं है. जिसकी वजह से पार्टी के कई नेता अपनी सीटों में भी बदलाव चाह रहे हैं, लेकिन पार्टी के लिए ऐसे नेताओं को एडजस्ट करना भी आसान नहीं है. जिसको लेकर पार्टी लगातार मंथन कर रही है.
टिकट कटने वालों से नाराजगी का डर: माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी कई विधायकों और मंत्रियों के टिकट पर कैंची चला सकती है. माना जा रहा है कि जिन नेताओं को उनकी टिकट कटने का डर है. वो बगावती रुख अपना सकते हैं. इसकी वजह से भी पार्टी अपनी सूची को जारी नहीं कर रही है. ऐसे में कहीं उनकी नाराजगी पार्टी को भारी ना पड़े, उसका खतरा पार्टी नहीं उठाना चाह रही है.