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अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका मेंटेनेबल नहीं, हर्ष महाजन ने हिमाचल हाईकोर्ट में लगाई गुहार, 23 जुलाई को सुनवाई - Harsh Mahajan petition in HC - HARSH MAHAJAN PETITION IN HC

himachal high court: हिमाचल राज्यसभा चुनाव के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने पर्ची सिस्टम से चुनाव परिणाम की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में एक याचिका के जरिए चुनौती दी थी. उन्होंने ड्रॉ ऑफ लॉट्स की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए कहा था कि ये प्रक्रिया सही नहीं है और ऐसे में चुनाव को रद्द किया जाए.अब इस याचिका के खिलाफ हर्ष महाजन ने हाईकोर्ट का रुख किया है

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 5:50 PM IST

शिमला: हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के दौरान एक खेला हुआ था. यहां प्रचंड बहुमत वाली कांग्रेस सरकार के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी महज 25 सदस्यों वाली भाजपा के प्रत्याशी हर्ष महाजन से हार गए थे. परिणाम पर्ची सिस्टम से निकला था. अभिषेक मनु सिंघवी ने बाद में पर्ची सिस्टम से चुनाव परिणाम निकालने की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में एक याचिका के जरिए चुनौती दी थी. अब हर्ष महाजन ने भी इस मामले में हाईकोर्ट का रुख किया है.

हर्ष महाजन ने अदालत में याचिका दाखिल कर ये आग्रह किया है कि अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका मेंटेनेबल नहीं है. उन्होंने अदालत से उक्त याचिका को रद्द करने की गुहार लगाई है. हाईकोर्ट इस मामले में 23 जुलाई को सुनवाई करेगा. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा की एक सीट के लिए 27 फरवरी को चुनाव हुआ था. उस चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों सहित तीन निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन की जीत सुनिश्चित की थी. परिणाम पर्ची सिस्टम से निकला था क्योंकि दोनों ही प्रत्याशियों के वोट बराबर थे.

सिंघवी ने इसी पर्ची सिस्टम को निजी रूप से हिमाचल हाईकोर्ट आकर 6 अप्रैल को चुनौती दी थी. उन्होंने ड्रॉ ऑफ लॉट्स की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए कहा था कि ये प्रक्रिया सही नहीं है और ऐसे में चुनाव को रद्द किया जाए. अब हर्ष महाजन ने भी अपने वकील के जरिए सिंघवी की याचिका को मेंटेनेबल न बताते हुए रद्द करने का आग्रह किया है. मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी. यहां बता दें कि राज्यसभा चुनाव ने हिमाचल की सियासत में हलचल मचा दी थी. नौबत यहां तक आई थी कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के गिरने की चर्चा शुरू हो गई थी. बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने छह विधायकों को अयोग्य करार दिया था. छह सीटों को रिक्त घोषित कर चुनाव हुए थे. उसमें से केवल दो ही नेता सुधीर शर्मा व इंद्रदत्त लखनपाल जीत पाए थे.

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