भोपाल.हरदा फैक्ट्री कांड (hard factory blast) को लेकर ऐसा खुलासा हुआ है जिसने प्रशासनिक अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए हैं. दरअसल, पटवारी और एसडीएम द्वारा जिस जमीन पर आतिशबाजी निर्माण का लायसेंस (explosive license) दिए जाने की अनुशंसा की गई थी, वह जमीन रिकॉर्ड में ही नहीं है. यानी हरदा के ग्राम बैरागढ़ में जिस खसरा नंबर पर आतिशबाजी निर्माण की फैक्ट्री संचालित हो रही थी वह खसरा नंबर ही नहीं है. जिला प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है.
फर्जी खसरा नंबर पर मिल गई फैक्ट्री की अनुमति
यह सब हुआ फैक्ट्री संचालक राजेश अग्रवाल को आतिशबाजी का लायसेंस देने में. आवेदन में ग्राम बैरागढ़ स्थित भूमि खसरा नंबर 911 का उल्लेख है. पटवारी द्वारा अपने प्रतिवेदन में भूमि खसरा नंबर 911 का उल्लेख किया गया है, लायसेंस ग्राम बैरागढ़ स्थित भूमि खसर नंबर 911 पर जारी किया गया था, लेकिन इस नंबर का कोई भी खसरा नंबर ग्राम बैरागढ़ के राजस्व अभिलेख में दर्ज ही नहीं है. इसी तरह 2007 में जो लायसेंस के लिए आवेदन किया गया था, उसमे भी खसरा नंबर का उल्लेख नहीं है. इसी प्रकार 2010 में जारी की गई अनापत्ति में भी खसरा नंबर का उल्लेख नहीं है.
अधिकारियों से इतनी बड़ी गलती कैसे?
हरदा में हुए भीषण ब्लास्ट में 13 बेकसूरों की जान चली गई और एक सैकड़ा से अधिक लोग घायल हुए थे. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि जिस अवैध फैक्ट्री की वजह से इतने लोगों की जान चली गई उसका लायसेंस फर्जी खसरे पर देने की इतनी बड़ी गलती अधिकारियों से कैसे हो गई? कहा जा रहा है कि हरदा जिले की जिस फैक्ट्री में विस्फोट हुआ है, यदि सही ढंग से उसकी जांच की जाए तो आधा दर्जन से अधिक अफसर नप जाएंगे. प्रमुख सचिव गृह संजय दुबे ने प्रशासन की रिपोर्ट और जांच के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली है. प्रमुख सचिव गृह जल्द ही अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौपेंगे.