रीवा (राकेश सोनी) : कहते हैं इश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और मन में कुछ भी कर गुजर जाने का जुनून हो तो हर मुश्किल राह आसान हो जाती है. कुछ ऐसा ही करके एक शख्स रीवा पहुंचे, जिन्हें देखकर हर कोई दंग और हैरान रह गया. हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के रहने वाले गोपाल पवार की. जिन्होंने यह साबित कर दिखाया है की वे दिव्यांंग तो हैं पर किसी के मोहताज नहीं है. तकरीबन 600 किलोमीटर की कठिन यात्रा करके शुक्रवार को वे रीवा पहुंचे. इसके बाद प्रयागराज स्थित महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाकर रामलला के दर्शन करने अयोध्या नगरी जाएंगे.
महाराष्ट्र से अयोध्या तक 1000 KM की साइकल यात्रा
दरअसल, महाराष्ट्र के वरदा जिले में रहने वाले गोपाल पवार ने कठिन संकल्प के साथ लोगों के लिए एक खास संदेश लेकर साइकल यात्रा प्रारंभ की थी. गोपाल पवार दिव्यांग हैं. दाहिना पैर न होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और साइकल से 1000 किलोमीटर की लम्बी यात्रा पर निकल पड़े. गोपाल पवार के मन में भगवान राम के प्रति गहरी आस्था है. इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ का पर्व बनाया जा रहा है. अयोध्या में रामलला के घर जाने से पहले दिव्यांग गोपाल गंगा स्नान करेंगे और लोगों को जागरूक करेंगे.
गोपाल पवार की महाराष्ट्र टू अयोध्या साइकिल यात्रा (ETV Bharat) 13 साल पहले सड़क हादसे में खोया था एक पैर
महाराष्ट्र से अयोध्या तक की साइकल यात्रा पर निकले गोपाल पवार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. गोपाल का बताया है कि, ''वे महाराष्ट्र के वर्धा जिले के निवासी हैं. 13 साल पहले वर्ष 2012 में एक सड़क हादसे के दौरान उनके दाहिने पैर की पल्स कट गई जिसके चलते उनका पैर काटना पड़ा.'' गोपाल का कहना है कि, ''महाराष्ट्र से अयोध्या तक की यात्रा को साइकिल से तय करने का उद्देश्य है की युवा और जो खास करके मेरी तरह दिव्यांग भाई बहन हैं उन्हें इस यात्रा के मध्यम से वह खास संदेश देना चाहते हैं.''
साइकिल चलाकर अयोध्या पहुंचेंगे गोपाल पवार (ETV Bharat) यात्रा के माध्यम से दिव्यांगों के लिए खास संदेश
साइकिल यात्रा पर निकले दिव्यांग गोपाल कहते है कि, ''अक्सर दिव्यांग खुद को कमजोर समझ लेते हैं की वो कुछ नहीं कर सकते. वह अपने इरादों को मजबूत कर लें तो दिव्यांग भाई भी वो सब कुछ कर सकते हैं जो एक साधारण व्यक्ति कर सकता है.'' गोपाल पवार का कहना है किसी भी दिव्यांग साथी को हर हाल में हार नहीं मानना चाहिए. उन्हें मन में जोश और उमंग भर कर हर हाल में आगे बढ़ना चाहिए.''
एक पैर नहीं फिर भी 1000 KM की साइकिल यात्रा पर गोपाल (ETV Bharat) भगवान राम में गहरी आस्था, महाकुंभ में लगाएंगे डुबकी
मजबूत इरादों के साथ साइकल यात्रा पर निकले गोपाल का कहना है कि, ''वह एक सनातनी भी हैं और भगवान राम के प्रति उनकी गहरी आस्था है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय ही वह साइकल यात्रा प्रारंभ करना चाहते थे. मगर घर वालों ने उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं दी. लेकिन अब इस बार प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के महापर्व पर 6 महीने पहले साइकिल यात्रा निकालने की योजना बनाई. लेकिन एक बार फिर घर वालों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया. लेकिन इस बार वह उन्हें मना पाने में कामयाब हो गए और परिवार के लोगों ने उन्हें यात्रा प्रारंभ करने की इजाजत दे दी.''
600 किलोमीटर की यात्रा कर रीवा पहुंचे गोपाल (ETV Bharat) 31 जनवरी को महाराष्ट्र से शुरु की थी यात्रा, पहुंची रीवा
गोपाल ने बताया कि, ''वे अपने शहर में एक दुकान पर नौकरी करते हैं. जबकि उनके पिता टोल नाके पर कर्मचारी हैं. माता और पत्नी ग्रहणी हैं. इसके साथ ही उनका एक बेटा और बेटी भी है. 31 जनवरी 2025 को उन्होंने साइकल यात्रा अपने शहर महाराष्ट्र के वर्धा से प्रारंभ की थी. तकरीबन 80 से 90 किलोमीटर का सफर प्रतिदिन तय करके शुक्रवार की रात वह रीवा पहुंचे हैं. अबतक वे लगभग 600 किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी साइकिल से तय कर चुके है.'' शनिवार तड़के वह एक बार फिर रीवा से प्रयागराज के लिए रवाना हो गए.
सरकार से गुजारिश दिव्यांजनों के लिए हो अलग कोटा
गोपाल की इस साइकल यात्रा में राष्ट्रीय बजरंगदल के मेंबर अनूप जयसवाल ने उनकी काफी मदद की है. 80 किलोमिटर की दूरी तय करने के बाद उन्होंने उनके ठहरने के साथ ही खाने और पीने की समुचित व्यवस्था की. इसके अलावा रीवा के विपिन ने भी उनका काफी सहयोग किया है. ईटीवी भारत के माध्यम से गोपाल ने भारत सरकार को संदेश देते हुए गुजारिश भी की है. उनका कहना है कि, ''सरकार प्रत्यक्ष कोटे के तरह दिव्यांगजनों के लिए भी कोटा बनाएं. जिससे उनकी राह आसान हो जाएगी.''
काश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा का लक्ष्य
इतना ही नहीं गोपाल पवार का कहना है कि, ''आगे भी वह इस तरह की अन्य साइकिल यात्रा करेंगे. उनका सबसे बड़ा लक्ष्य है की आगे चलकर वह कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल से यात्रा करके अपना संदेश लोगों तक पहुंचाए. साथ ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाते हुए वर्ल्ड रिकार्ड बनाएं.''