नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा बड़ी जीत की ओर आगे बढ़ रही है. 27 साल बाद दिल्ली में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई है. ऐसे में कई दिल्लीवासियों में इस बात को लेकर सवाल उठ रहा है कि सत्ता में आने के बाद क्या भाजपा आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा शुरू की गई मुफ्त सुविधाओं को जारी रखेगी. मुफ्त बिजली, पानी और अन्य कल्याणकारी योजनाएं AAP के शासन का मुख्य हिस्सा रही हैं. भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में इनको लेकर अभी संशय है.
मुफ्त सुविधाओं पर भाजपा का रुख
हालांकि, भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में दिल्ली में चल रहीं मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं को बंद नहीं करने का वादा किया है. इसके अलावा, भाजपा ने समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन किए गए नए कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू करने का वादा किया है. भाजपा की सरकार के गठन के बाद पहली कैबिनेट बैठक में दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने पर फैसला लिया जा सकता है. जिसके तहत 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज प्रदान किया जाता है. साथ ही राज्य सरकार कम आय वाले परिवारों के लिए 5 लाख रुपये का अतिरिक्त कवरेज भी जोड़ेगी.
नेताओं और विशेषज्ञों की राय
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उदित राज का मानना है कि भाजपा कुछ मौजूदा मुफ्त सुविधाओं को बरकरार रख सकती है, जबकि अपने वादे के मुताबिक नई कल्याणकारी स्कीम पेश करेगी. उन्होंने कहा, "अब यह सभी राजनीतिक दलों के लिए मजबूरी बन गई है. दिल्ली में AAP द्वारा शुरू किया गया ट्रेंड खतरनाक था, फिर भी लोग मुफ्त सुविधाओं के लिए वोट करना जारी रखते हैं. भाजपा अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए कल्याणकारी योजनाओं को बनाए रखेगी."
हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि शासन केवल मुफ्त सुविधाओं पर आधारित नहीं होना चाहिए. सरकार में बैठे लोगों को रोजगार, सांप्रदायिक सद्भाव और हाशिए पर पड़े समुदायों के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
राजनीतिक विशेषज्ञ और पत्रकार नवल किशोर सिंह का मानना है कि भाजपा के लिए AAP की कल्याणकारी योजनाओं को वापस लेना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, "अगर लोगों को 5-10 साल से लाभ मिल रहा है, तो यह उनकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाता है. भाजपा मुफ्त सुविधाओं की आलोचना करती है, लेकिन उसने किसानों को सीधे नकद ट्रांसफर जैसे समान लाभ भी वितरित किए हैं. वे अपनी खुद की योजनाओं को जोड़ते हुए AAP की पहलों को जारी रखेंगे."
राजनीतिक मामलों के जानकार जगदीश ममगाईं ने कहा कि भाजपा ने अपने प्रचार अभियान के दौरान और भी अधिक लाभ देने का वादा किया है, जैसे कि मुफ्त बिजली 200 से बढ़ाकर 300 यूनिट करना. हालांकि, उन्होंने बताया कि योजनाओं को लागू करना दो कारकों पर निर्भर करेगा: नए मुख्यमंत्री का विजन और क्या केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है. उन्होंने कहा, "अब जब भाजपा सरकार बना रही है, तो उसे यह पता लगाना होगा कि फंड कहां से आएगा."
भाजपा के वादा
भाजपा ने दिल्ली में AAP की तरफ से चलाई जा रहीं मौजूदा योजनाओं को जारी रखने का आश्वासन दिया है. साथ ही कई नई पहलों की रूपरेखा भी पेश की है:
- महिला समृद्धि योजना: गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए 2,500 रुपये मासिक सहायता
- मुख्यमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना: गर्भवती महिलाओं के लिए 21,000 रुपये और छह पोषण किट
- एलपीजी सिलेंडर 500 रुपये में: होली और दिवाली के दौरान गरीब परिवारों के लिए एक मुफ्त एलपीजी सिलेंडर
- निःशुल्क चिकित्सा सेवाएं: आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को 10 लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार और 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए निःशुल्क ओपीडी और डायग्नोस्टिक
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए बढ़ी पेंशन: 60-70 वर्ष की आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए 2,000 रुपये से 2,500 रुपये और 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए 2,500 रुपये से 3,000 रुपये
- किफायती भोजन: 5 रुपये में भोजन उपलब्ध कराने के लिए जेजे क्लस्टरों में अटल कैंटीन की स्थापना
- केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा: दिल्ली सरकार के स्कूलों और संस्थानों में गरीब छात्रों को स्नातकोत्तर स्तर तक मुफ्त शिक्षा मिलेगा
- प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए सहायता: 15,000 रुपये की वित्तीय सहायता और यात्रा और आवेदन शुल्क का रीइंबर्समेंट
- डॉ. बीआर अंबेडकर वजीफा योजना: व्यावसायिक पाठ्यक्रम करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए 1,000 रुपये मासिक वजीफा
- पीएम स्वनिधि योजना का विस्तार: इस वित्तीय सहायता पहल के तहत स्ट्रीट वेंडर लाभार्थियों की संख्या दोगुनी होगी
अचानक बंद नहीं की जाएगी कोई भी मुफ्त सुविधा
अगर भाजपा जीत हासिल करती है, तो पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कल्याणकारी योजनाओं को बनाए रखने के साथ-साथ अपने वादों को पूरा करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. हालांकि भाजपा नेतृत्व ने आश्वासन दिया है कि कोई भी मुफ्त सुविधा अचानक बंद नहीं की जाएगी.
लेकिन विशेषज्ञों का सुझाव है कि पार्टी को लोकलुभावन उपायों और वित्तीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होगी. आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होंगा कि क्या भाजपा अपनी चुनावी प्रतिबद्धताओं को पूरा करती है और दिल्ली में कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जनता की उम्मीदों को कैसे पूरा करती है.
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