ग्वालियर: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इस बात पर चिंता जताई है कि स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार के लिए तैयार की गई डीपीआर का अनुमोदन हो चुका है तो फिर राज्य सरकार फंड जारी क्यों नहीं कर रही है? इस मामले में अगली सुनवाई में सरकार को इस सवाल पर अपना अपना जवाब पेश करना होगा. खंडपीठ ने ये भी कहा "स्वर्ण रेखा नदी में गंदगी फैलाने वालों की निगरानी के लिए नगर निगम को सीसीटीवी लगवाने चाहिए."
डीपीआर पर अनुमोदन के बाद भी मामला अटका
बता दें कि अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया ने स्वर्ण रेखा की बदहाली को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इस पर पिछले दो साल से सुनवाई चल रही है. याचिका में कहा गया है "किसी जमाने में शहर की जीवनदायिनी रही स्वर्णरेखा पुनर्जीवित किया जाए, जो वर्तमान में नाले के रूप में तब्दील होकर रह गई है. स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार के लिए जिला प्रशासन ने माधव इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस तथा भोपाल के मौलाना आजाद मैनिट से डीपीआर तैयार कराई थी. इसका अनुमोदन राज्य समिति और जिला समिति द्वारा किया जा चुका है."