जयपुर : सिख समुदाय के 10वें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह की आज जयंती है. गुरु गोविंद सिंह ने अपने जीवन के अंतिम समय 1707 में राजस्थान का दो बार दौरा किया था. राजस्थान के जयपुर जिले के नरेना गांव में चरण कमल साहिब गुरुद्वारे में 13 दिन तक गुरु गोविंद सिंह ने डेरा जमाया रखा था. स्थानीय निवासी गुरुद्वारे में आए बलवंत कुमार गंगवाल ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जब यहां आए तो दादू पीठाधीश्वर ने उन्हें खाने के लिए निमंत्रण दिया. यहां बाज को शाकाहारी भोजन खिलाने को लेकर हुए चमत्कार को देखकर गुरु गोविंद सिंह ने दादू पीठाधीश्वर को कहा कि आज तक हमारा पंत किसी के आगे नहीं झुका. आज ये परीक्षा ली, इसमें सफल होने के इनाम के तौर पर 551 सोने की मोहरें दे रहा हूं.
पैनोरमा में सिखों के इतिहास को दिखाया :सिख धर्म से जुड़े इतिहास को दर्शाने के लिए नरेना गांव में पैनोरमा स्थापित किया गया है. इसमें औरंगजेब की ओर से सिखों पर की गई यातनाओं का चित्रण भी किया गया है. भाई मती दास जी और गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का किस्सा. भाई दयाला जी को धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दी गई, उसका भी चित्रण किया गया है. पैनोरमा में पंज प्यारों की दीक्षा, वैशाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना. इसके बाद गुरु गोविंद सिंह देशभर की यात्रा पर जाते हैं. जफरनामा में औरंगजेब के अत्याचारों का भी विवरण दिया गया है. गुरुद्वारे में पैनोरमा देखने आई मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि पैनोरमा में सिख गुरुओं के त्याग साहस और पराक्रम की कहानियों को चित्रण के दर्शाया गया है. ऐसे में सभी को यहां आना चाहिए और सिखों के इतिहास को जानना चाहिए.