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क्या जंगल का राजा घास भी खाता है! रानी दुर्गावती अभ्यारण्य में बाघों के लिए उगाए जा रहे घास - grassland for tigers survival

अगर घास नहीं रहेगी, तो टाइगर खाएगा क्या...ये पढ़कर सबसे पहले मन में सवाल उठता है कि जंगल के राजा को घास खाने की जरूरत क्या है. लेकिन आपको जानकर अचरज होगा कि अगर जंगल में घास नहीं होगी तो राजा यानी टाइगर को भी खाना मिलना दूभर हो जाएगा. इसलिए मध्यप्रदेश के सबसे बड़े वन्य जीव अभ्यारण्य नौरादेही में घास के विशेष इंतजाम किए गए हैं.

grassland for tigers survival
रानी दुर्गावती अभ्यारण्य (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 8:57 AM IST

Updated : Jul 10, 2024, 11:16 AM IST

सागर।जंगल में घास के मैदान इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि वह शाकाहारी जंगली प्राणियों के लिए अहम होते हैं. जिस जंगल में जितना बेहतर घास का मैदान होता है, उतनी ज्यादा संख्या शाकाहारी वन्यप्राणियों की होती है. जंगल में जितने ज्यादा शाकाहारी वन्यप्राणी होते हैं, टाइगर के लिए उतना अच्छा आहार प्राप्त होता है. क्योंकि टाइगर इन्ही जानवरों को खाकर अपनी भूख मिटाता है. इसलिए मानसून के मौसम में सभी टाइगर रिजर्व या संरक्षित वनों में घास के मैदानों के प्रबंधन पर जोर दिया जाता है और बेहतर बनाया जाता है. शाकाहारी प्राणियों की संख्या बढ़े और जंगल की फूड साइकिल ना बिगड़े.

रानी दुर्गावती अभ्यारण्य में बाघों के लिए किए विशेष इंतजाम (ETV BHARAT)

प्रकृति के लिए जंगल और घास के मैदान का महत्व

हमारे ईको सिस्टम के लिए जंगल और जंगल में घास के मैदान सबसे अहम होते हैं. जंगल ऑक्सीजन और कार्बन के प्रमुख स्त्रोत माने गए हैं. ये वन्यप्राणियों को छाया प्रदान करने के साथ जंगल के तापमान को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं. स्थानीय मौसम और जलवायु को प्रभावित करते हैं और वाष्प उत्सर्जन के जरिए खुद के लिए सूक्ष्म जलवायु क्षेत्र बनाते हैं. जंगल में मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और जलनिकासी के लिए रास्ता तैयार करते हैं. इसी तरह घास के मैदानों का महत्व आम लोग नहीं जानते. लेकिन जंगल की तरह घास के मैदान संतुलन और सुरक्षा में योगदान करते हैं. घास के मैदान जंगल की मिट्टी और जल स्रोतों की रक्षा के साथ संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं. वनस्पतियों और जीव जंतुओं के लिए आवास प्रदान करते हैं और जुगाली करने वाले शाकाहारी जानवरों के भोजन का प्रमुख आधार हैं.

घास के मैदान क्यों हो रहे कम

घास के मैदानों का क्षेत्रफल कम होना पूरे ईको सिस्टम के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि बड़े पैमाने पर जंगल और जंगल से लगे इलाकों में जमीन को कृषि योग्य बनाने के लिए घास के मैदान खत्म कर दिए गए. इसके अलावा दुधारू पशुओं और कृषि कार्य में उपयोग में आने वाले पशुओं के रखरखाव में चराने के लिए चरवाहे प्रथा बडे पैमाने पर कम हुई है. चरवाहे अपने पशुओं के लिए जंगल की घास के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाते थे. लेकिन दुधारू पशुओं को घर पर ही रखने की प्रथा और कृषि योग्य पशुओ को खेत पर ही रखकर भोजन मुहैया कराने की प्रथा का असर घास के मैदानों के प्रबंधन पर पड़ा है. इन कारणों से घास के मैदान का क्षेत्रफल कम हुआ और वन्यप्राणियों और ईको सिस्टम के लिहाज से ये चिंता का विषय बन गया है.

जंगल में घास के मैदान जरूरी (ETV BHARAT)

एमपी के सबसे नए टाइगर रिजर्व में ग्रास लैंड प्रबंधन

मध्य प्रदेश में पिछले साल सातवें टाइगर रिजर्व की सौगात मिल चुकी है. प्रदेश के सबसे बड़े वन्य जीव अभ्यारण नौरादेही और रानी दुर्गावती वन्य जीव अभ्यारण को मिलाकर वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की शुरुआत की गई है. ये टाइगर रिजर्व बनने के बाद पहला मानसून सीजन है. मौजूदा स्थिति में यहां 5 से 6 प्रतिशत ग्रास लैंड हैं. इसको करीब 11 11-12% तक ले जाने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं. पहले से मौजूद घास के मैदाने से खरपतवार निकालने का काम चल रहा है. इन घास के मैदाने का प्रबंध इस तरीके से किया जा रहा है कि शाकाहारी जानवरों के लिए यह मैदान तमाम गतिविधियों के लिए मुफीद रहे।जहां जो गांव विस्थापित हो गए हैं. वहां के खेतों में घास के मैदान तैयार किए जाने का काम शुरू हो गया है.

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क्या कहना है टाइगर रिजर्व प्रबंधन का

नौरादेही टाइगर रिजर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी का कहना है "अगर हम वैज्ञानिक रूप से देखें तो ग्रास लैंड (घास के मैदान) बाघों के संरक्षण में सबसे मूलभूत व्यवस्था है. घास के मैदान पर शाकाहारी वन्यप्राणियों की निर्भरता होती है. जितना अच्छा घास का मैदान होगा, उतनी ज्यादा संख्या शाकाहारी प्राणियों की संख्या होगी. निश्चित रूप से घास का मैदान टाइगर रिजर्व के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए हम लोगों चारगाह प्रबंधन पर ध्यान देते हैं. वर्तमान में मानसून के समय पर सबसे ज्यादा हम लोगों ग्रासलैंड मैनेजमेंट पर फोकस करते हैं."

Last Updated : Jul 10, 2024, 11:16 AM IST

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