रांचीः पूरे झारखंड में करमा पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. एक तरफ अच्छी फसल की कामना हो रही है तो दूसरी तरफ बहनों ने अपने भाईयों की सलामती के लिए उपवास रखा है. इस पर्व को आदिवासी और सदान समाज के लोग सदियों से मना रहे हैं. घर के आंगन में करम पेड़ की शाखा लगाकर पूजा की जाती है. इस दौरान गेहूं, ज्वार, जौ, मकई, उड़द, चना के अंकुर को गुड़ के साथ प्रसाद के तौर पर अर्पित किया जाता है.
इस पर्व के दौरान करमा और धरमा से जुड़ी लोक कहानियां सुनाई जाती हैं. संदेश दिया जाता है कि कर्म और धर्म के बिना खुशहाली नहीं आ सकती है. फिर पारंपरिक नृत्य और संगीत का दौर शुरु होता है. टोला मुहल्लों में आदिवासियों के पवित्र स्थल अखड़ा में सामूहिक रुप से नृत्य संगीत का आयोजन हो रहा है. इस दौरान समाज के लोग एक दूसरे से मिलकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं.
वहीं राज्यपाल संतोष गंगवार ने राज्यवासियों की करमा पर्व की शुभकामनाएं दी है. उन्होंने कहा है कि करमा पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है. यह पर्व भाई-बहन के बीच आपसी सौहार्द और स्नेह का भी प्रतीक है. सीएम हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को करमा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए 13 सितंबर को मंईयां सम्मान योजना की दूसरी किस्त जारी कर राज्य की बहनों को करमा पर्व की शुभकामनाएं दी हैं.