गिरिडीहः वैसे तो तिलकुट का नाम आते ही बिहार के गया का रमना, टेकारी रोड के साथ साथ बाराचट्टी के डंगरा की तस्वीर जेहन में आने लगती है. इन स्थानों पर बने तिलकुट का स्वाद अद्भुत होता है. लोग गया जिला के इन स्थानों पर बने तिलकुट की तारीफ करते नहीं थकते. कुछ ऐसा ही स्वादिष्ट तिलकुट पिछले कुछ वर्ष से गिरिडीह में भी बन रहा है.
यहां उत्तर प्रदेश के कानपुर के अलावा झारखंड के गढ़वा-पलामू से तिल आ रहा है, ज्यादा तिल कानपुर से आ रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ से गुड़ और खजूर वाला गुड़ पहुंच रहा है. फिर इसी कानपुर के तिल और छत्तीसगढ़ के गुड़ की कुटाई की जा रही है. दोनों की एक साथ कुटाई कर गिरिडीह में तिलकुट बनाया जा रहा है.
नवादा-गया के कारीगर स्वाद को बना रहे लाजवाब
गिरिडीह शहर में तिलकुट को स्वादिष्ट बनाने का काम बिहार के नवादा और गया के अलग-अलग स्थानों से आए कारीगर कर रहे हैं. शहर के बड़ा पोस्ट ऑफिस के बगल में श्रीराम तिलकुट भंडार नामक दुकान का संचालन नवादा के वारसलीगंज के भोला कर रहे हैं. भोला यहां पिछले कई वर्षों से अपनी दुकान सजाते हैं. ये बताते हैं कि यूपी के कानपुर से तिल आता है. उनके यहां खजूर गुड़ का उपयोग तिलकुट बनाने में किया जाता है. यह गुड़ ज्यादातर छत्तीसगढ़ से आता है जबकि कुछेक बार पश्चिम बंगाल से भी गुड़ आता है.
दुकानदार भोला बताते हैं कि उनके यहां चीनी का तिलकुट 250 रुपये तो गुड़ का तिलकुट 350 रु. किलो की दर से मिल रहा है. जबकि खोवा का दाम इसी तरह क्रमशः 500 और 600 रुपये किलो है. फिर गजक, काले तिल का लडडू समेत गुड़-तिल की पापड़ी भी मिलती है.
कारीगर रंजीत कुमार बताते हैं हर साल 14 नवंबर को वे लोग गिरिडीह पहुंच जाते हैं और 14 जनवरी तक यहां रहते हैं. उनके यहां का स्वाद लोगों को गया के तिलकुट की याद कराता है. इसी तरह शहर के टावर चौक पर सुनील चौधरी भी दुकान खोले हुए हैं. सुनील के पास भी गया और नवादा के कारीगर तिलकुट बना रहे हैं. इनका कहना है कि गिरिडीह में बेहतरीन क्वालिटी का तिलकुट बनाया जाता है, जिसका स्वाद ही निराला होता है.
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