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कानपुर के तिल और छत्तीसगढ़ के गुड़ की कुटाई, तिलकुट से आए ऐसा स्वाद कि याद आ जाए रमना! - MAKAR SANKRANTI 2025

तिल के साथ गुड़ की सौंधी महक गलियों में तैर रही है. गिरिडीह में भी तिलकुट वर्षों से बन रहा है, जिसका स्वाद निराला है.

Tilkut is being made in Giridih from sesame of Kanpur and jaggery from Chhattisgarh on Makar Sankranti 2025
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 12, 2025, 4:04 AM IST

गिरिडीहः वैसे तो तिलकुट का नाम आते ही बिहार के गया का रमना, टेकारी रोड के साथ साथ बाराचट्टी के डंगरा की तस्वीर जेहन में आने लगती है. इन स्थानों पर बने तिलकुट का स्वाद अद्भुत होता है. लोग गया जिला के इन स्थानों पर बने तिलकुट की तारीफ करते नहीं थकते. कुछ ऐसा ही स्वादिष्ट तिलकुट पिछले कुछ वर्ष से गिरिडीह में भी बन रहा है.

यहां उत्तर प्रदेश के कानपुर के अलावा झारखंड के गढ़वा-पलामू से तिल आ रहा है, ज्यादा तिल कानपुर से आ रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ से गुड़ और खजूर वाला गुड़ पहुंच रहा है. फिर इसी कानपुर के तिल और छत्तीसगढ़ के गुड़ की कुटाई की जा रही है. दोनों की एक साथ कुटाई कर गिरिडीह में तिलकुट बनाया जा रहा है.

गिरिडीह के तिलकुट का अनोखा स्वाद (ETV Bharat)

नवादा-गया के कारीगर स्वाद को बना रहे लाजवाब

गिरिडीह शहर में तिलकुट को स्वादिष्ट बनाने का काम बिहार के नवादा और गया के अलग-अलग स्थानों से आए कारीगर कर रहे हैं. शहर के बड़ा पोस्ट ऑफिस के बगल में श्रीराम तिलकुट भंडार नामक दुकान का संचालन नवादा के वारसलीगंज के भोला कर रहे हैं. भोला यहां पिछले कई वर्षों से अपनी दुकान सजाते हैं. ये बताते हैं कि यूपी के कानपुर से तिल आता है. उनके यहां खजूर गुड़ का उपयोग तिलकुट बनाने में किया जाता है. यह गुड़ ज्यादातर छत्तीसगढ़ से आता है जबकि कुछेक बार पश्चिम बंगाल से भी गुड़ आता है.

दुकानदार भोला बताते हैं कि उनके यहां चीनी का तिलकुट 250 रुपये तो गुड़ का तिलकुट 350 रु. किलो की दर से मिल रहा है. जबकि खोवा का दाम इसी तरह क्रमशः 500 और 600 रुपये किलो है. फिर गजक, काले तिल का लडडू समेत गुड़-तिल की पापड़ी भी मिलती है.

कारीगर रंजीत कुमार बताते हैं हर साल 14 नवंबर को वे लोग गिरिडीह पहुंच जाते हैं और 14 जनवरी तक यहां रहते हैं. उनके यहां का स्वाद लोगों को गया के तिलकुट की याद कराता है. इसी तरह शहर के टावर चौक पर सुनील चौधरी भी दुकान खोले हुए हैं. सुनील के पास भी गया और नवादा के कारीगर तिलकुट बना रहे हैं. इनका कहना है कि गिरिडीह में बेहतरीन क्वालिटी का तिलकुट बनाया जाता है, जिसका स्वाद ही निराला होता है.

इसे भी पढ़ें- गया के तिल से बने तिलकुट की बढ़ी डिमांड, बगोदर में खूब हो रही खरीदारी - गिरिडीह में गया का तिलकुट

इसे भी पढ़ें- मकर संक्रांति को लेकर तिल और गुड़ की सौंधी महक से गुलजार राजधानी! जानें, मार्केट में कितने में बिक रहा तिलकुट - MAKAR SANKRANTI 2025

इसे भी पढ़ें- तिलकुट की खुशबू से महका बाजार, रांची के दुकानों पर खरीदारों की भीड़, जानें क्या है दाम - रांची में तिलकुट की दुकान

गिरिडीहः वैसे तो तिलकुट का नाम आते ही बिहार के गया का रमना, टेकारी रोड के साथ साथ बाराचट्टी के डंगरा की तस्वीर जेहन में आने लगती है. इन स्थानों पर बने तिलकुट का स्वाद अद्भुत होता है. लोग गया जिला के इन स्थानों पर बने तिलकुट की तारीफ करते नहीं थकते. कुछ ऐसा ही स्वादिष्ट तिलकुट पिछले कुछ वर्ष से गिरिडीह में भी बन रहा है.

यहां उत्तर प्रदेश के कानपुर के अलावा झारखंड के गढ़वा-पलामू से तिल आ रहा है, ज्यादा तिल कानपुर से आ रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ से गुड़ और खजूर वाला गुड़ पहुंच रहा है. फिर इसी कानपुर के तिल और छत्तीसगढ़ के गुड़ की कुटाई की जा रही है. दोनों की एक साथ कुटाई कर गिरिडीह में तिलकुट बनाया जा रहा है.

गिरिडीह के तिलकुट का अनोखा स्वाद (ETV Bharat)

नवादा-गया के कारीगर स्वाद को बना रहे लाजवाब

गिरिडीह शहर में तिलकुट को स्वादिष्ट बनाने का काम बिहार के नवादा और गया के अलग-अलग स्थानों से आए कारीगर कर रहे हैं. शहर के बड़ा पोस्ट ऑफिस के बगल में श्रीराम तिलकुट भंडार नामक दुकान का संचालन नवादा के वारसलीगंज के भोला कर रहे हैं. भोला यहां पिछले कई वर्षों से अपनी दुकान सजाते हैं. ये बताते हैं कि यूपी के कानपुर से तिल आता है. उनके यहां खजूर गुड़ का उपयोग तिलकुट बनाने में किया जाता है. यह गुड़ ज्यादातर छत्तीसगढ़ से आता है जबकि कुछेक बार पश्चिम बंगाल से भी गुड़ आता है.

दुकानदार भोला बताते हैं कि उनके यहां चीनी का तिलकुट 250 रुपये तो गुड़ का तिलकुट 350 रु. किलो की दर से मिल रहा है. जबकि खोवा का दाम इसी तरह क्रमशः 500 और 600 रुपये किलो है. फिर गजक, काले तिल का लडडू समेत गुड़-तिल की पापड़ी भी मिलती है.

कारीगर रंजीत कुमार बताते हैं हर साल 14 नवंबर को वे लोग गिरिडीह पहुंच जाते हैं और 14 जनवरी तक यहां रहते हैं. उनके यहां का स्वाद लोगों को गया के तिलकुट की याद कराता है. इसी तरह शहर के टावर चौक पर सुनील चौधरी भी दुकान खोले हुए हैं. सुनील के पास भी गया और नवादा के कारीगर तिलकुट बना रहे हैं. इनका कहना है कि गिरिडीह में बेहतरीन क्वालिटी का तिलकुट बनाया जाता है, जिसका स्वाद ही निराला होता है.

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