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मकर संक्रांति इस साल लेकर आई है अद्भुत संयोग, जानें कब दान करने पर मिलेगा सबसे ज्यादा पुण्य - MAKAR SANKRANTI 2025

मकर संक्रांति का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार यह त्यौहार एक अद्भुत संयोग लेकर आ रहा है.

Makar Sankranti 2025
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 12, 2025, 5:30 AM IST

रांची: दुनियाभर में मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का त्यौहार इस बार 14 जनवरी को विशेष महत्व के साथ मनाया जाएगा. धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्व रखने वाला यह पर्व सनातन धर्मावलंबियों के लिए खास महाकुंभ के आगमन के साथ ही होगा.

देशभर में विभिन्न नामों से मनाए जाने वाले मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है, जो इस साल 14 जनवरी को सूर्योदय के बाद से दोपहर 2.30 बजे तक पुण्यकाल में किया जाएगा. मान्यता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर किया गया दान क्षय नहीं होता, यानी अक्षय होता है.

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य गौतम विद्या का कहना है कि इस दिन श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र आदि दान कर सकते हैं, जो बहुत पुण्यदायी होता है. इस अवसर पर अपने पूर्वजों को याद करते हुए दान करने की परंपरा रही है, जो बहुत शुभ और फलदायी होता है.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य गौतम विद्या (Etv Bharat)

खरमास समाप्त होगा, मांगलिक कार्य होंगे शुरू

मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य की शुरुआत होगी. 14 जनवरी के बाद शुभ मुहूर्त में विवाह, उपनयन, मुंडन, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. इस पर्व की विशेषता यह है कि इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है. यह पर्व उस दिन मनाया जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है.

भारत में इस दिन को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, तमिलनाडु में इसे पोंगल कहते हैं, तो कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति कहते हैं. इसी तरह बिहार में यह पर्व 'तिला संक्रांत' के नाम से भी प्रसिद्ध है. झारखंड में मकर संक्रांति के अवसर पर दही चूड़ा, खिचड़ी, तिलकुट और तिल के लड्डू खाने की परंपरा है. इस अवसर पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है जिसमें बच्चों के साथ पूरा परिवार शामिल होता है.

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देशभर में विभिन्न नामों से मनाए जाने वाले मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है, जो इस साल 14 जनवरी को सूर्योदय के बाद से दोपहर 2.30 बजे तक पुण्यकाल में किया जाएगा. मान्यता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर किया गया दान क्षय नहीं होता, यानी अक्षय होता है.

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य गौतम विद्या का कहना है कि इस दिन श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र आदि दान कर सकते हैं, जो बहुत पुण्यदायी होता है. इस अवसर पर अपने पूर्वजों को याद करते हुए दान करने की परंपरा रही है, जो बहुत शुभ और फलदायी होता है.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य गौतम विद्या (Etv Bharat)

खरमास समाप्त होगा, मांगलिक कार्य होंगे शुरू

मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य की शुरुआत होगी. 14 जनवरी के बाद शुभ मुहूर्त में विवाह, उपनयन, मुंडन, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. इस पर्व की विशेषता यह है कि इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है. यह पर्व उस दिन मनाया जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है.

भारत में इस दिन को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, तमिलनाडु में इसे पोंगल कहते हैं, तो कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति कहते हैं. इसी तरह बिहार में यह पर्व 'तिला संक्रांत' के नाम से भी प्रसिद्ध है. झारखंड में मकर संक्रांति के अवसर पर दही चूड़ा, खिचड़ी, तिलकुट और तिल के लड्डू खाने की परंपरा है. इस अवसर पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है जिसमें बच्चों के साथ पूरा परिवार शामिल होता है.

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