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पांडुपोल हनुमान मंदिर के भक्तों की आस्था नहीं होगी आहत, सरकार के इस आदेश से मिली राहत - Sariska Tiger Reserve - SARISKA TIGER RESERVE

Pandupol temple in Sariska : सरकार की ओर से सरिस्का टाइगर रिजर्व में प्रसाद तैयार कर पांडुपोल मंदिर में ले जाने की मनाही है, लेकिन भक्तों की आस्था को देखते हुए पहले तैयार की गई प्रसाद ले जाने की अनुमति दी है. जंगल में बढ़ती अग्नि दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से ये निर्णय लिया गया है.

पांडुपोल मंदिर
पांडुपोल मंदिर (ETV Bharat Alwar)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 14, 2024, 6:31 AM IST

पांडुपोल मंदिर को लेकर यह हैं दिशा निर्देश. (ETV Bharat Alwar)

अलवरः प्राचीन पांडुपोल मंदिर में सवामणी एवं प्रसाद तैयार करके ले जाने पर सरकार की बंदिश नहीं है, लेकिन सरिस्का टाइगर रिजर्व में आग या गैस आदि पर प्रसाद तैयार करने पर पाबंदी रहेगी. सरकार ने यह निर्णय जंगल में बढ़ती अग्नि दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से लिया है. ऐतिहासिक पांडुपोल हनुमान मंदिर टाइगर रिजर्व सरिस्का में है. यहां मंगलवार एवं शनिवार को बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने, प्रसाद चढ़ाने आते हैं. देश भर में मान्यता होने के कारण यहां भक्तों की ओर से सवामणी जैसे आयोजन भी बहुतायत में होते हैं.

सरिस्का के डीएफओ राजेंद्र कुमार हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से पिछले दिनों सरिस्का स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर में सवामणी एवं प्रसाद आदि तैयार करने पर पाबंदी लगाई है. सरकार ने यह आदेश सेंचुरी क्षेत्र में बढ़ती अग्नि दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए दिए हैं. इस आदेश के तहत अब कोई भक्त पांडुपोल हनुमान मंदिर परिसर या जंगल क्षेत्र में कहीं भी प्रसाद तैयार नहीं कर सकेंगे, लेकिन भक्तों की आस्था आहत नहीं हो, इसके लिए सरकार ने टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर प्रसाद तैयार कर पांडुपोल मंदिर ले जाने की अनुमति दी है.

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देशभर में मान्यता है पांडुपोल मंदिर की :सरिस्का टाइगर रिजर्व स्थित ऐतिहासिक पांडुपोल हनुमान मंदिर की मान्यता अलवर जिले तक ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों के लोगों में भी है. यही कारण है कि पांडुपोल हनुमान मंदिर में मंगलवार व शनिवार को देश के विभिन्न हिस्सों से लोग दर्शन के लिए आते हैं. साथ ही मनौती पूरी होने पर सवामणी एवं भंडारे आदि का भी आयोजन करते हैं.

महाभारत कालीन है पांडुपोल मंदिर ! :सरिस्का में स्थित पांडुपोल मंदिर बहुत प्राचीन है. मान्यता है कि महाभारत काल में भगवान हनुमानजी ने वृद्ध वानर का स्वरूप धारण कर पांडव पुत्र भीम का अहंकार तोड़ने के लिए अपनी पूंछ फैलाई. हनुमानजी ने वृद्ध होने की बात कह भीम से पूंछ हटाकर रास्ता बनाने की बात कही, लेकिन पूरे प्रयास करने के बाद भी भीम रास्ते से पूंछ नहीं हटा सके. इस पर भीम ने वृद्ध वानर से असल रूप में आने का आग्रह किया तब हनुमानजी ने वास्तविक रूप में आकर दर्शन दिए. तभी से यहां हनुमानजी का मंदिर स्थित है और पांडव काल होने के कारण यह पांडुपोल हनुमान मंदिर के नाम से विख्यात है. इसी कारण देश भर में इस मंदिर की मान्यता है.

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सरिस्का में पहले भी आग जलाने पर थी मनाही :सरिस्का टाइगर रिजर्व में पहले भी आग जलाने, बिजली कनेक्शन आदि पर पाबंदी रही है, लेकिन ऐतिहासिक पांडुपोल मंदिर में प्रसादी तैयार करने पर रियायत दी जा रही थी. जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ने के कारण अब सरकार को मंदिरों में प्रसाद तैयार करने पर पाबंदी के आदेश जारी करने पड़े हैं.

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