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दुष्कर्म के मामलों में गर्भपात को लेकर गाइडलाइन बनाने की मंशा : हाइकोर्ट - RAJASTHAN HIGH COURT

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामलों में गर्भपात को लेकर गाइडलाइन बनाने की मंशा जाहिर की है. जानें पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाइकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 12, 2025, 10:43 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाइकोर्ट ने जानकारी के अभाव में दुष्कर्म पीड़िताओं के गर्भपात में देरी और कई बार प्रसव के समय पीड़िता किशोरियों की जान खतरे में पड़ने की स्थिति को गंभीरता दिखाई है. कोर्ट ने बलात्कार के मामलों में गर्भपात के लिए गाइडलाइन तय करने की मंशा जताते हुए केन्द्र और राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा.

कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को पक्षकार बनाया है और अदालती कार्यवाही में सहयोग के लिए अधिवक्ता पल्लवी मेहता, प्रियांशा गुप्ता व सोनल गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया. मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव व न्यायाधीश उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका पर यह आदेश दिया.

पढे़ं : पूर्व में चयनित वॉलीबॉल खिलाड़ियों को पुनः ट्रायल की जरूरत नहीं - RAJASTHAN HIGH COURT

पुलिस सहित अन्य संबंधित एजेंसियां दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात संबंधी प्रावधानों की समय पर जानकारी नहीं देती हैं, जिससे कई बार प्रसव के समय नाबालिग पीड़िताओं की जान खतरे में पड़ जाती है. कोर्ट ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए यह जनहित याचिका दर्ज की थी. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी व महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद को सरकार का पक्ष पेश करने का आदेश दिया. वहीं, इस तरह के मामलों में जागरूकता के लिए रालसा से पक्ष रखने कहा है. अब देखने वाली बात होगी आगे ऐसे मामलों को लेकर इस पहल का क्या प्रभाव पड़ता है.

जयपुर: राजस्थान हाइकोर्ट ने जानकारी के अभाव में दुष्कर्म पीड़िताओं के गर्भपात में देरी और कई बार प्रसव के समय पीड़िता किशोरियों की जान खतरे में पड़ने की स्थिति को गंभीरता दिखाई है. कोर्ट ने बलात्कार के मामलों में गर्भपात के लिए गाइडलाइन तय करने की मंशा जताते हुए केन्द्र और राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा.

कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को पक्षकार बनाया है और अदालती कार्यवाही में सहयोग के लिए अधिवक्ता पल्लवी मेहता, प्रियांशा गुप्ता व सोनल गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया. मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव व न्यायाधीश उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका पर यह आदेश दिया.

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पुलिस सहित अन्य संबंधित एजेंसियां दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात संबंधी प्रावधानों की समय पर जानकारी नहीं देती हैं, जिससे कई बार प्रसव के समय नाबालिग पीड़िताओं की जान खतरे में पड़ जाती है. कोर्ट ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए यह जनहित याचिका दर्ज की थी. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी व महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद को सरकार का पक्ष पेश करने का आदेश दिया. वहीं, इस तरह के मामलों में जागरूकता के लिए रालसा से पक्ष रखने कहा है. अब देखने वाली बात होगी आगे ऐसे मामलों को लेकर इस पहल का क्या प्रभाव पड़ता है.

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