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ज्वालेश्वर महादेव की महिमा, क्षण मात्र में मिट जाते हैं पाप - Jwaleshwar Mahadev

Glory of Jwaleshwar Mahadev छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश की सीमा पर ज्वालेश्वर महादेव का धाम है. इस शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए सावन के महीने में शिवभक्तों की टोली उमड़ती है.स्कंद पुराण की माने तो ज्वालेश्वर महादेव में दुग्ध और जलाभिषेक करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.Jwaleshwar Mahadev of Pendra

Shiva devotees gathered in Amarkantak
ज्वालेश्वर महादेव की महिमा (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 29, 2024, 2:37 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही :सावन के पवित्र माह में अमरकंटक तीर्थ स्थल भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है.ऊंचे पहाड़ पर नर्मदा उद्गम स्थल पर शिवभक्तों की भीड़ लगती है.इस बार भी अमरकंटक आने वाले शिवभक्तों ने तैयारी की है.सावन के दूसरे सोमवार को ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी. जय माता ज्वालाधाम गिरारी से जुड़े सैकड़ों शिवभक्त पदयात्रा करते हुए गिरारी से पेंड्रा पहुंचे. इसके बाद सभी वाहनों से मध्यप्रदेश के अमरकंटक रवाना हुए. जहां से पैदल नर्मदा जल लेकर छत्तीसगढ़ के ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे.शिव भक्ति में लीन सभी भक्त भोलेनाथ का जयकारा लगाते हुए पेंड्रा से रवाना हुए हैं.


गिरारी गांव से आती है टोली :सावन के दूसरे सोमवार को पेंड्रा के गिरारी गांव स्थित जय माता ज्वालाधाम के सैकड़ों श्रद्धालु आज गिरारी गांव से पैदल भोलेनाथ का जयकारा लगाते हुए पेंड्रा पहुंचे. जहां से सभी वाहनों में सवार होकर अमरकंटक रवाना हुए हैं. ये सभी श्रद्धालु अमरकंटक में पूजा अर्चना के बाद मां नर्मदा मंदिर से नर्मदा उद्गम से जल लेकर वापस 8 किलोमीटर पैदल चलकर छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित स्वयंभू ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे.

ज्वालेश्वर महादेव के लिए निकली टोली (ETV Bharat Chhattisgarh)

दूग्ध और जलाभिषेक से मिट जाते हैं पाप :गिरारी गांव के ये श्रद्धालु पिछले 4 वर्षों से लगातार सावन माह में पैदल अमरकंटक से नर्मदा जल लेकर ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग में जलभिषेक करते हैं.श्रद्धालुओं के जत्थे में सभी वर्ग के भक्त मौजूद रहते हैं. जो पूरे रास्ते भोलेनाथ के जयकारों के साथ आगे बढ़ते हैं. मैकल पर्वत श्रृंखला में स्थित ज्वालेश्वर महादेव शिवलिंग के ठीक नीचे से ही जोहिला नदी का उद्गम है.कहा जाता है कि गंगा में स्नान करने से जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य नर्मदा के दर्शन मात्र से मिल जाता है. पुराणों के मुताबिक इस स्थान को महा रूद्र मेर कहा जाता है. स्कंद पुराण में मान्यता है कि इस स्वयंभू शिवलिंग पर दूध और शीतल जल अर्पित करने से सभी पाप दोष और दुखों का नाश हो जाता है.

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