गयाः बिहार में गया पुलिस की लापरवाही से पदाधिकारी उस वक्त हैरान रह गए जब परैया थाना की पुलिस ने हादसे में मृत युवक का दाह संस्कार कर दिया. युवक की पहचान नहीं की गई थी. बाद में पता चला कि युवक इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखता था. इसकी जानकारी मिलने के बाद पुलिस के हाथ-पैर फुलने लगे. परिजन पुलिस से अपने बेटे का शव मांग रहे हैं.
27 सितंबर को हुई थी मौतः घटना जिले के परैया थाना की है. पुरानी करीमगंज, बेल गली के रहने वाले गुलाम हैदर के पुत्र मो. शहाबउद्दीन (32) की 27 सितंबर की सुबह सड़क हादसे में मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार युवक अपनी स्कूटी से गुरारू के लिए निकला था. तभी रास्ते में परैया के पास पिकअप वैन से धक्का लगने के कारण घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई थी.
पुलिस ने कहा- करा दिया अंतिम संस्कारः घटना के बाद परैया थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मगध मेडिकल कॉलेज गया भेज दिया था लेकिन पहचान नहीं हो पायी थी. पोस्टमार्टम के बाद शव की पहचान के लिए 72 घंटे तक शीतगृह में रखा गया. 72 घंटे के बाद भी पहचान नहीं होने के बाद पुलिस ने शव का दाह संस्कार करा दिया. घटना के बाद जब परिजनों को पता चला तो उसने बेटे के शव की मांग की लेकिन शव का तो अंतिम संस्कार हो चुका था. इसके बाद पुलिस के हाथ पैर फुलने लगे.
16 दिनों बाद कैंडल मार्च निकालाः घटना के 16 दिनों के बाद शनिवार की शाम पुलिस के प्रति आक्रोश में गांधी मैदान से कैंडल मार्च निकला जाना था. सूचना मिलते ही जिला पुलिस के पदाधिकारी परिजन के घर पहुंच गए. परिजनों से बात की और आग्रह किया कि कैंडल मार्च नहीं निकाला जाए. पुलिस ने दो दिनों का समय मांगा है ताकि अपनी कार्रवाई कर सके. लेकिन स्थानीय लोगों और भाकपा माले के द्वारा कैंडल मार्च निकाला गया. पुरानी करीमगंज में मोहल्ला के अंदर ही कैंडल मार्च निकाल गया.
कहां हुआ अंतिम संस्कार?अब जब पीड़ित परिवार अपने बच्चे का डेडबाॅडी की डिमांड कर रहें हैं तो पुलिस के पसीने छुट रहें हैं. एफआईआर रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया है. लेकिन पोस्टमार्टम के बाद शव कहां गया, किस जगह पर अंतिम संस्कार हुआ पुलिस भी इस बात से अंजान है. पुलिस का कहना है डेडबाॅडी की जिम्मेदारी चौकीदार को दी गई थी. वही बताएगा की बाॅडी का क्या किया गया? जिस चौकीदार को ड्यूटी दी गई थी वह पुलिस का चौकीदार नहीं है बल्कि पिछले चार साल से वह अपने ससूर की जगह पर चौकीदारी कर रहा था.
शव से साथ क्या किया गया? मृतक शहाबुद्दीन के पिता गुलाम हैदर ने बताया कि जब वह थाने में पुलिस से डेडबाॅडी की डिमांड की तो पुलिस ने बताया पोस्टमार्टम के तीन दिन बाद शव को अंतिम संस्कार करने के लिए शव चौकीदार को दे दिया गया था. दूसरे दिन फिर थाने जाकर चौकीदार से बात की तो उसने बताया कि उसने डेडबाॅडी को एक लोकल आदमी को शव डिस्पोज करने के लिए दे दिया था. उसने बाॅडी के साथ क्या किया उसको पता नहीं है.