हिसार:परिवर्तनशील मौसम होने से लहसुन व प्याज की फसल को पाले से खतरा रहता है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. चंद्र मोहन के अनुसार कोहरा व पाला पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में बागवानी सब्जी की फसलों को बचाना बहुत जरूरी है. किसानों को खेत में हल्की सिंचाई करनी चाहिए. खेत में ही घास-फूंस जलाकर धुआं करना चाहिए. लहसुन, आलू, प्याज की फसल में दो ग्राम सल्फर प्रति लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. जिसके कारण पाले का प्रभाव कम हो जाता है. प्याज की पौध में तो उसे रात के समय पॉलीथिन से ढक दें. ताकि भूमि का तापमान कम न हो दिन में धूप आने पर पॉलीथिन को हटा दें.
यूरिया का ऐसे करें इस्तेमाल: गेहूं की पछेती पहली तीस दिन के बाद करनी चाहिए. अगेती और समय पर बुवाई वाली फसल 20 से 25 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. पछेती बिजाई के समय डीएपी के साथ बाकी 60 किलोग्राम यूरिया डाली तो बाकी 60 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से पहली सिंचाई के साथ डाल देनी चाहिए. अगर बिजाई के समय यूरिया नहीं डाली, तो पहली सिंचाई के समय 65 किलोग्राम यूरिया डाल दें.
खरपतवार नाशक का ऐसे करें इस्तेमाल: गेहूं की शंकरी पत्तियों वाले व चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार मंडूसी कनकी, जंगली, जई मालवा, जंगली, पालक, हिरनखुरी आदि खरपतवार नाशक से उपचार कर सकते हैं. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं रोग विशेषज्ञ डॉ. ओपी बिश्नोई ने बताया कि चौड़ी पत्ती खरपतवार के लिए बिजाई के लिए 3 से 35 के बाद खरपतवार नाशक 8 ग्राम और 250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. मालवा जंगली, पालक, हिरनखुरी के नियंत्रण के लिये फारफेन्ट्रोजोन मिथाइल 20 ग्राम प्रति एकड़ की 30-35 दिन बाद 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.