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पौष पूर्णिमा पर 144 साल बाद बना अद्भुत संयोग, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, दूर हो जाएंगे सारे दुख - PAUSH PURNIMA 2025

हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का काफी ज्यादा महत्व होता है. इस महीने पौष पूर्णिमा आ रही है. जानिए समय, पूजा विधि और महत्व

Paush Purnima 2025 What is its importance date time Puja Vidhi Amazing coincidence after 144 years
पौष पूर्णिमा 2025 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 16 hours ago

Paush Purnima 2025 : सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करने से शुभ फल प्राप्त होता है. इस समय पौष महीना चल रहा है और पौष महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है. ये वर्ष 2025 की पहली अमावस्या है, इसलिए इसका और भी ज्यादा महत्व है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और पवित्र नदी में स्नान करने से जन्मों-जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है. तो आईए जानते हैं कि कब है पौष पूर्णिमा और इसका क्या महत्व है.


कब है पौष पूर्णिमा ? : पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि पौष महीने की पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार 13 जनवरी को सुबह 5:03 मिनट पर शुरू होगी जबकि इसका समापन 14 जनवरी को सुबह 3:56 मिनट पर होगा. कुछ लोगों में असमंजस की स्थिति है कि पौष पूर्णिमा इस बार 13 जनवरी को या 14 जनवरी को मनाई जाएगी, लेकिन आपको बता दें कि हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार उदय तिथि के साथ बनाए जाते हैं. इसलिए पौष पूर्णिमा 13 जनवरी के दिन मनाई जाएगी. इस दिन विधिवत रूप से व्रत पर रखा जाता है. व्रत रखने वाले चंद्रमा के दर्शन करके उनको अर्घ्य देते हैं. इसलिए चंद्रोदय 13 जनवरी को शाम के 5:04 पर होगा. इस दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 5:27 मिनट से शुरू होकर 6:21 मिनट तक रहेगा. इस दिन से ही प्रयागराज में महाकुंभ का भी आरंभ होगा.

पौष पूर्णिमा पर 144 साल बाद बना अद्भुत संयोग (Etv Bharat)

पूर्णिमा के व्रत और पूजा की विधि विधान : पंडित ने बताया कि पौष पूर्णिमा का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस दिन जहां पवित्र नदी में स्नान किया जाता है तो वहीं व्रत रखने का भी काफी महत्व होता है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. अगर ऐसा संभव न हो सके तो घर में पानी की बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करें. उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. स्नान करने के बाद दान करें. उसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा अर्चना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं. उनको पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें. शाम की पूजा के दौरान अपने पास कलश में पानी रखें. भगवान विष्णु को पंचामृत, केला और पंजीरी का भोग लगाए. इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा भी करें, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है. फिर भगवान विष्णु और माता-लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और चांद के दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण करें. उसके बाद गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन दें और फिर खुद भोजन करें.

पौष पूर्णिमा का महत्व : पंडित ने बताया कि पौष पूर्णिमा का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान किया जाता है और भगवान सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है. भगवान सूर्य देव और चंद्रमा दोनों की पूजा-अर्चना पूर्णिमा के दिन की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो दोनों की पूजा करते हैं, उनको मन वांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से आर्थिक संकट दूर होता है.

पूर्णिमा पर इन चीजों का करें दान : पंडित ने बताया कि पूर्णिमा के दिन गुड़ का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. अधिक ठंड होने के चलते इस महीने में कंबल दान करना भी बहुत ही लाभकारी माना जाता है. इस दिन तिल का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है. खुद भी दिल से बनी हुई चीज खानी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि तिल का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इस दिन गेहूं का दान करना भी विशेष फलदायी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गेहूं का दान करने से आपके पास कभी धन की कमी नहीं रहेगी और जीवन में तरक्की मिलेगी.

144 सालों के बाद बन रहा अद्भुत संयोग : पौष पूर्णिमा पर 144 सालों के बाद इस बार बहुत ही अद्भुत और शुभ संयोग बन रहा है. पौष पूर्णिमा के दिन ही 2025 महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है जिसका आयोजन प्रयागराज में हो रहा है. इस दिन पवित्र नदी गंगा में स्नान अवश्य करना चाहिए और स्नान करने के बाद दान करने से इंसान को सुख-समृद्धि और तरक्की मिलती है, साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं.

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Paush Purnima 2025 : सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करने से शुभ फल प्राप्त होता है. इस समय पौष महीना चल रहा है और पौष महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है. ये वर्ष 2025 की पहली अमावस्या है, इसलिए इसका और भी ज्यादा महत्व है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और पवित्र नदी में स्नान करने से जन्मों-जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है. तो आईए जानते हैं कि कब है पौष पूर्णिमा और इसका क्या महत्व है.


कब है पौष पूर्णिमा ? : पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि पौष महीने की पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार 13 जनवरी को सुबह 5:03 मिनट पर शुरू होगी जबकि इसका समापन 14 जनवरी को सुबह 3:56 मिनट पर होगा. कुछ लोगों में असमंजस की स्थिति है कि पौष पूर्णिमा इस बार 13 जनवरी को या 14 जनवरी को मनाई जाएगी, लेकिन आपको बता दें कि हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार उदय तिथि के साथ बनाए जाते हैं. इसलिए पौष पूर्णिमा 13 जनवरी के दिन मनाई जाएगी. इस दिन विधिवत रूप से व्रत पर रखा जाता है. व्रत रखने वाले चंद्रमा के दर्शन करके उनको अर्घ्य देते हैं. इसलिए चंद्रोदय 13 जनवरी को शाम के 5:04 पर होगा. इस दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 5:27 मिनट से शुरू होकर 6:21 मिनट तक रहेगा. इस दिन से ही प्रयागराज में महाकुंभ का भी आरंभ होगा.

पौष पूर्णिमा पर 144 साल बाद बना अद्भुत संयोग (Etv Bharat)

पूर्णिमा के व्रत और पूजा की विधि विधान : पंडित ने बताया कि पौष पूर्णिमा का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस दिन जहां पवित्र नदी में स्नान किया जाता है तो वहीं व्रत रखने का भी काफी महत्व होता है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. अगर ऐसा संभव न हो सके तो घर में पानी की बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करें. उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. स्नान करने के बाद दान करें. उसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा अर्चना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं. उनको पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें. शाम की पूजा के दौरान अपने पास कलश में पानी रखें. भगवान विष्णु को पंचामृत, केला और पंजीरी का भोग लगाए. इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा भी करें, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है. फिर भगवान विष्णु और माता-लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और चांद के दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण करें. उसके बाद गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन दें और फिर खुद भोजन करें.

पौष पूर्णिमा का महत्व : पंडित ने बताया कि पौष पूर्णिमा का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान किया जाता है और भगवान सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है. भगवान सूर्य देव और चंद्रमा दोनों की पूजा-अर्चना पूर्णिमा के दिन की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो दोनों की पूजा करते हैं, उनको मन वांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से आर्थिक संकट दूर होता है.

पूर्णिमा पर इन चीजों का करें दान : पंडित ने बताया कि पूर्णिमा के दिन गुड़ का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. अधिक ठंड होने के चलते इस महीने में कंबल दान करना भी बहुत ही लाभकारी माना जाता है. इस दिन तिल का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है. खुद भी दिल से बनी हुई चीज खानी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि तिल का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इस दिन गेहूं का दान करना भी विशेष फलदायी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गेहूं का दान करने से आपके पास कभी धन की कमी नहीं रहेगी और जीवन में तरक्की मिलेगी.

144 सालों के बाद बन रहा अद्भुत संयोग : पौष पूर्णिमा पर 144 सालों के बाद इस बार बहुत ही अद्भुत और शुभ संयोग बन रहा है. पौष पूर्णिमा के दिन ही 2025 महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है जिसका आयोजन प्रयागराज में हो रहा है. इस दिन पवित्र नदी गंगा में स्नान अवश्य करना चाहिए और स्नान करने के बाद दान करने से इंसान को सुख-समृद्धि और तरक्की मिलती है, साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं.

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