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फ्रांस लेगा हिमाचल से प्राकृतिक खेती के टेक्नीक की टिप्स, दौरे पर पहुंची वैज्ञानिकों की टीम - France Scientists Meet CM Sukhu

Himachal Natural Farming: हिमाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. जिसकी दुनिया भर में सराहना की जा रही है. इसी के चलते अब फ्रांस के वैज्ञानिकों की एक टीम हिमाचल प्रदेश दौरे पर पहुंची है और प्रदेश में प्राकृतिक खेती की तकनीक की जानकारी लेंगे.

FRANCE SCIENTISTS MEET CM SUKHU
सीएम सुक्खू से मिली फ्रांस वैज्ञानिकों की एक टीम (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 31, 2024, 7:49 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार के प्रयासों के बाद किसान अब रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं. ऐसे में किसानों को मंडियों में उत्पादों के उचित दाम मिल सके, इसके लिए सरकार ने प्राकृतिक तकनीक के पैदा की जाने वाली गेहूं की खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 40 रुपये और मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये प्रति किलो कर दिया है. ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है. हिमाचल प्रदेश में हजारों किसान प्राकृतिक खेती की तकनीक से पैदावार ले रहे हैं. इस पहल के लिए देश और दुनिया में हिमाचल के प्रयासों की सराहना हो रही है.

एलिसन मैरी लोकोंटो के नेतृत्व में पहुंची टीम

ऐसे में हिमाचल से प्राकृतिक खेती की तकनीक के टिप्स लेने के लिए फ्रांस के राष्ट्रीय कृषि, खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (आईएनआरएई) के चार वैज्ञानिकों के प्रतिनिधिमंडल ने शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भेंट की. एलआईएसआईएस के उप निदेशक प्रो. एलिसन मैरी लोकोंटो के नेतृत्व में टीम में शोधकर्ता प्रो. मिरेइल मैट, डॉ. एवलिन लोस्टे और डॉ. रेनी वैन डिस शामिल हैं. वो प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में हुई प्रगति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश के दौरे पर हैं.

प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए MSP

इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है. प्राकृतिक खेती के जरिए उगाए गए उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य है. इसके अतिरिक्त किसानों की आर्थिक को मजबूत करने के लिए गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सीटारा प्रमाणन प्रणाली शुरू की गई है, जिसे किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए लागू किया जा रहा है. वहीं हिम-उन्नति योजना को राज्य में क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के साथ लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य रसायन मुक्त उत्पादन और प्रमाणन करना है. इसके तहत करीब 50 हजार किसानों को शामिल करने और 2600 कृषि समूह स्थापित करने की योजना है. इसके अलावा राज्य सरकार डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है.

3 हफ्ते तक हिमाचल में रहेगी फ्रांस की टीम

आईएनआरएई के वैज्ञानिक तीन सप्ताह तक डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और राज्य के अन्य स्थानों का दौरा करेंगे. उनका दौरा यूरोपीय आयोग की ओर से वित्त पोषित एक्रोपिक्स परियोजना (अंतर्राष्ट्रीय सह-नवप्रवर्तन गतिशीलता और स्थिरता के साक्ष्य की ओर कृषि-पारिस्थितिकी फसल संरक्षण) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कृषि-पारिस्थितिकी फसल संरक्षण में सह-नवप्रवर्तन को आगे बढ़ाना है. फ्रांस से आते प्रतिनिधिमंडल ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में राज्य सरकार के प्रयासों और सीटारा प्रमाणन प्रणाली की सराहना की. उन्होंने कहा कि आईएनआरएई इस प्रमाणन प्रणाली को अन्य देशों में अपनाने की संभावना तलाशेगा.

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