गोरखपुर: किसी भी विश्वविद्यालय या तकनीकी संस्थान के पुरातन छात्र, अगर अपने पूर्व संस्थान के छात्रों के साथ जुड़कर उन्हें भविष्य की संभावना, रोजगार और हौसले को लेकर मार्गदर्शन देते हैं, तो यह वर्तमान पीढ़ी के लिए बहुत ही सुखद संदेश है. गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) के द्वारा कुछ ऐसी ही पहल की गई है. जिसके तहत अमेरिका, लंदन, कनाडा, जर्मनी जहां भी उसके पुरातन छात्र शिक्षा से लेकर रोजगार के क्षेत्र में अच्छे पायदान पर स्थापित किए हैं, उनके साथ मौजूद छात्रों को ऑनलाइन जोड़कर, उन्हें मार्गदर्शन और सफलता के टिप्स दिलाने का कार्य किया जा रहा है. जिससे छात्रों का भी हौसला बढ़ रहा है. इसी क्रम में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष वारीश प्रताप, जो मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं. उन्होंने छात्रों को ऑनलाइन टिप्स देकर उनका मार्गदर्शन और हौसला बढ़ाने का कार्य किया है.
पुरातन छात्र वारीश प्रताप ने छात्रों से ऑनलाइन जुड़कर किया उनका मार्गदर्शन. पुरातन छात्र ने विदेश से जुड़कर छात्रों से किया संवाद:कैंब्रिज विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष एवं मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र वारीश प्रताप ने वर्तमान छात्र- छात्राओं के साथ संवाद किया. यूनिवर्सिटी इनोवेशन सेल द्वारा आयोजित मालवियन प्रॉडिजी कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़कर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए. अभिनव ओझा, ऋतिका वर्मा एवं विदित यादव के कुशल संचालन ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किए 60 से अधिक विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासा के समाधान खोजे. वारीश ने अपने एमएमएमयूटी के अपने छात्र जीवन से लेकर, महारत्न कम्पनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ साथ, कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन और छात्र राजनीति से जुड़े हुए अनूठे अनुभव भी बांटे.ग्रामीण परिवेश के निम्न-मध्यम वर्गीय परिवेश से आने वाले विद्यार्थियों से उन्होंने संसाधन-स्वामित्व से इतर, उपलब्ध संसाधनों पर विशेष ध्यान देने को कहा. जिससे कि तंगहाली किसी भी हाल में आपके उत्कर्ष में बाधा न बन सके.
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वारीश प्रताप ने यह भी कहा, कि मित्र की मदद करने से आप न केवल उनकी मदद कर रहे होते है, बल्कि खुद का नॉलेज और अपनी स्कील को और भी सुधार रहे होते है. इस विशेष अवसर पर उन्हें खुद की फर्रुखाबाद के एक गांव से प्रारंभ हो रहे कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रस्टी होने तक की यात्रा में विशिष्ट योगदान देने में, एमएमएमयूटी के तत्कालीन कुलपति प्रो. ओंकार सिंह, यांत्रिकी अभियंत्रण के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. डीके सिंह के साथ – साथ प्रो. बीके पाण्डेय एवं पुस्तकालयाध्यक्ष डीएम पाण्डेय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की.
उन्होंने भावी अभियंताओं से सीनिअर्स के साथ – साथ शैक्षिक एवं अन्य स्टाफ से भी यथासंभव सीखने को प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा, कि पूर्वाञ्चल से भी आप वो सारे सपने देखने का मौलिक हक रखते हैं, जो राष्ट्रीय या राजकीय राजधानी में स्थापित किसी राष्ट्रीय महत्व के चिन्हित संस्थान में पढ़ने वाला कोई विद्यार्थी देखता है. अपने सपने को पूरा करने की कीमत की प्रतिपूर्ति आपको स्वयं अपने श्रम, युक्ति, सामर्थ्य एवं संसाधनपरकता के यथावश्यक योग से ही करनी होगी. इसके साथ ही उन्होंने यह अटूट विश्वास व्यक्त किया कि कैंब्रिज, हावर्ड, स्टनफोर्ड इत्यादि तक विद्यार्थी पहुंचाने वाले एमएमएमयूटी के विद्यार्थी आने वाले समय में एमआईटी भी पहुंचेंगे.
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