लखनऊ : केजीएमयू पैथोलॉजी विभाग के डॉ. वाहिद अली ने शुक्रवार को ब्राउन हॉल में पैथोलॉजी विभाग के 113 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया.
डॉ. वाहिद अली ने कहा कि शुगर की जांच कराते समय बुनियादी बातों का ध्यान रखना चाहिए. भोजन और नमूने देने के बीच का अंतर आठ से 10 घंटे का होना चाहिए. जिसमें आठ घंटे न्यूनतम हैं.
यदि कोई व्यक्ति पहले से ही शुगर की दवा ले रहा है, तो उसे छोड़ना नहीं चाहिए. एक सामान्य व्यक्ति को शुगर जांच से पहले अपना नियमित पिछला भोजन करना चाहिए. न तो ज्यादा भोजन लें न ही कम. वहीं पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर (PPBS) की जांच भोजन खत्म करने के बाद 1.45 मिनट से दो घंटे के बीच कराना चाहिए.
चाय, शरबत पीकर जांच न कराएं : डॉ. वाहिद ने बताया कि पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर (PPBS) की जांच कराने से पहले व्यक्ति को रोज की तरह भोजन करना चाहिए. 70 से 80 प्रतिशत लोग शरबत, चाय, केला आदि खाकर जांच करा लेते हैं. जो कि गलत है, फास्टिंग लिपिड प्रोफाइल की जांच 10 घंटे से ज्यादा भोजन करने के बाद ही होना चाहिए.
नमूना एकत्र करने व लैब तक लाने में सावधानी बरतें : केजीएमयू पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. यू.एस सिंह ने बताया कि रक्त का नमूना लेने व उसे लैब तक लाने में सावधानी बरतनी चाहिए. 65 से 75 प्रतिशत मामले में खून के नमूने को लैब तक लाने में गड़बड़ी होती है. नमूना अगर ज्यादा हिल-डुल गया तो इससे भी दिक्कत हो सकता है. लिहाजा नमूना लाने में भी नियमों का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन बुनियादी बिंदुओं का मरीज खुद पालन कर सकते हैं. जिससे गलत रिपोर्ट का जोखिम 90 फीसदी तक कम किया जा सकता है. गलत रिपोर्ट का 10 प्रतिशत जोखिम लैब के अंदर होता है.
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