मुरादाबाद : मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष डीपी यादव ने शनिवार सुबह अपने निवास पर आत्महत्या कर ली. वे पिछले तीन महीने से डिप्रेशन में चल रहे थे और दिल्ली व हरिद्वार से इनका इलाज चल रहा था. डीपी यादव सपा में प्रदेश सचिव और दो बार मुरादाबाद के जिलाध्यक्ष रहे. 2024 के लोकसभा चुनाव घोषित होने के बाद 8 अप्रैल को उन्हें जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. 55 साल के डीपी को मुरादाबाद की राजनीति के चाणक्य कहा जाता था. पुलिस के अनुसार शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है.
मझोला पुलिस के अनुसार डीपी यादव का परिवार मुरादाबाद बुद्धिविहार में रहता है. शनिवार सूचना मिली कि उन्होंने आत्महत्या कर ली है. परिजनों ने बताया कि डीपी यादव सुबह पांच बजे के करीब सोकर उठने के बाद घर के बाहर टहलने निकले थे. आसपास के लोगों से सुबह 7:30 बजे तक बात की थी. इसके बाद परिवार के लोगों से सोने के लिए कहकर अपने कमरे में चले गए. करीब 9 बजे कमरे से फायरिंग की आवाज आई तो परिवारवाले कमरे की तरफ दौड़े. स्टोर रूम में डीपी यादव का शव खून में लथपथ पड़ा था. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. प्राथमिक जांच में उनके डिप्रेशन में होने की बात सामने आई है.
डीपी यादव का राजनीति सफर :सपा के लिए राजनीति करने वाले डीपी यादव मुरादाबाद के चाणक्य कहे जाते थे. डीपी यादव सपा की मेन बॉडी में प्रदेश सचिव पद पर भी रहे. 2022 के विधानसभा चुनाव डीपी यादव की जिलाध्यक्षी में लड़ा गया. जिसमें सपा ने 6 में से 5 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी. डीपी यादव को सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव का करीबी माना जाता था. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मुरादाबाद की जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी डीपी यादव को दी गई थी. पूर्व सांसद एसटी हसन के नॉमिनेशन के बाद टिकट काट कर रुचि वीरा को दिया गया तो उन्होंने चुनाव से दूरी बना ली थी. इसके बाद डीपी यादव को जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था.
तीन महीने से डिप्रेशन में थी डीपी यादव :सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डीपी यादव पिछले तीन महीने से डिप्रेशन में चल रहे थे. डिप्रेशन का इलाज दिल्ली के एक मानसिक रोग विशेषज्ञ से चल रहा था. इसके अलावा हरिद्वार से भी इलाज कराने की बात सामने आई है.