ETV Bharat / state

यूपी रोडवेज का भी होगा निजीकरण; 55 हजार कर्मचारी चिंतित, सील बॉक्स में कर्मचारियों से मांगी जा रही राय - UP ROADWAYS PRIVATIZATION

UP Roadways: उत्तर प्रदेश के 19 रोडवेज डिपो को प्राइवेट फर्मों के हवाले कर दिया गया है, जो पहली जनवरी 2025 से काम शुरू करेंगी.

Etv Bharat
कर्मचारियों की राय लेने के लिए चारबाग बस अड्डे पर रखा गया बॉक्स. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 12, 2024, 4:58 PM IST

Updated : Dec 13, 2024, 9:11 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में निजीकरण के रास्ते धीरे-धीरे खुल रहे हैं. पहले बस स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर दिए जाने की कार्रवाई शुरू हुई. इसके बाद प्रदेश के 19 रोडवेज डिपो को प्राइवेट फर्मों के हवाले कर दिया गया. हालांकि अभी इन फर्मों ने जिम्मेदारी नहीं संभाली है लेकिन, एक जनवरी से तैयारी है.

निजीकरण से परिवहन निगम के कर्मचारी चिंतित हैं. इसलिए रोडवेज यूनियन कर्मचारियों को संघर्ष के लिए जागरूक कर रही है. सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह प्रदेश भर के रीजनों के दौरे करके कर्मचारियों से रोडवेज के निजीकरण को लेकर उनकी राय ले रहे हैं.

यूपी रोडवेज के निजीकरण को लेकर यूनियनों ने अपने विरोध की तैयारी शुरू कर दी है. (Video Credit; ETV Bharat)

सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ की तरफ से गुरुवार को लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर एक सील बॉक्स रखा गया. इसमें रोडवेज के कर्मचारी एक प्रोफार्मा पर रोडवेज में निजीकरण को लेकर 'सहमत या असहमत' पर टिक कर बॉक्स के अंदर डाल सकते हैं. 20 दिसंबर को यह बॉक्स खोला जाएगा और इस रेफरेंडर में सभी कार्मिक पत्र के माध्यम से सहमत या असहमत को काउंट किया जाएगा. इसके बाद निजीकरण को लेकर आंदोलन तेज किया जाएगा.

प्रदेश के सभी रीजनों में इस तरह के बॉक्स रखकर कर्मचारियों से उनकी सहमत या असहमत की राय ली जा रही है. सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह का कहना है कि रेलवे की तरह ही रोडवेज में पहली बार रेफरेंडम की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. 12 दिसंबर से 20 दिसंबर तक बाकायदा कर्मचारियों की निजीकरण को लेकर सहमति लेने के लिए सभी कार्मिकों को सील बॉक्स में अपना पत्र डालना है.

UP Roadways
कर्मचारियों की राय लेने के लिए बॉक्स रखने के कार्यक्रम के दौरान मौजूद पदाधिकारी. (Photo Credit; ETV Bharat)

इसे 20 दिसंबर को ओपन किया जाएगा और सहमत की संख्या ज्यादा होगी तो आगे का आंदोलन तेज किया जाएगा. अगर असहमत की संख्या ज्यादा होती है तो फिर इस पर विचार किया जाएगा. उनका कहना है कि निजीकरण से परिवहन निगम के 55000 कर्मचारी प्रभावित होंगे. उन्होंने बताया कि चारबाग बस स्टेशन पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के मंत्री सुभाष चंद्र तिवारी और उद्यान महासंघ के अध्यक्ष अविनाश चंद्र श्रीवास्तव ने बॉक्स को सील कर दिया है.

संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास का कहना है कि परिवहन निगम लगातार निजीकरण की तरफ अग्रसर है. अपने 19 डिपो प्राइवेट हाथों में सौंप दिए हैं जिसका हम विरोध करते हैं. धीरे-धीरे निजीकरण हो जाएगा और कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. 55 हजार कर्मचारियों पर इसका असर पड़ेगा.

UP Roadways
कर्मचारियों की राय लेने के लिए बॉक्स रखने के कार्यक्रम के दौरान मौजूद पदाधिकारी. (Photo Credit; ETV Bharat)

हमें पूरी उम्मीद है कि बॉक्स में जो भी पत्र डाले जाएंगे उसमें निजीकरण से सहमत कर्मचारियों की संख्या ज्यादा होगी और इसी पर हम अपना आंदोलन खड़ा करेंगे. प्रदेश के परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री से मेरी मांग है कि व्यवस्थाएं पहले की ही तरह रहने दी जाएं. निजीकरण को बिल्कुल भी बढ़ावा न दिया जाए.

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत कुमार सिंह का कहना है कि 19 डिपो का कॉन्ट्रैक्ट जिन फर्मों को दिया गया है, वह अपना काम एक जनवरी से शुरू करेंगी. लखनऊ के अवध डिपो समेत प्रदेश के अन्य रीजनों के 19 डिपो के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राइवेट फर्मों को सौंपी गई है. कम कीमत पर यह सभी फर्म बसों को मेंटेन करेंगी.

ये भी पढ़ेंः खुशखबरी! यूपी रोडवेज के कर्मचारियों का बढ़ा 8 फीसदी महंगाई भत्ता, जानिए कितनी बढ़ेगी सैलरी?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में निजीकरण के रास्ते धीरे-धीरे खुल रहे हैं. पहले बस स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर दिए जाने की कार्रवाई शुरू हुई. इसके बाद प्रदेश के 19 रोडवेज डिपो को प्राइवेट फर्मों के हवाले कर दिया गया. हालांकि अभी इन फर्मों ने जिम्मेदारी नहीं संभाली है लेकिन, एक जनवरी से तैयारी है.

निजीकरण से परिवहन निगम के कर्मचारी चिंतित हैं. इसलिए रोडवेज यूनियन कर्मचारियों को संघर्ष के लिए जागरूक कर रही है. सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह प्रदेश भर के रीजनों के दौरे करके कर्मचारियों से रोडवेज के निजीकरण को लेकर उनकी राय ले रहे हैं.

यूपी रोडवेज के निजीकरण को लेकर यूनियनों ने अपने विरोध की तैयारी शुरू कर दी है. (Video Credit; ETV Bharat)

सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ की तरफ से गुरुवार को लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर एक सील बॉक्स रखा गया. इसमें रोडवेज के कर्मचारी एक प्रोफार्मा पर रोडवेज में निजीकरण को लेकर 'सहमत या असहमत' पर टिक कर बॉक्स के अंदर डाल सकते हैं. 20 दिसंबर को यह बॉक्स खोला जाएगा और इस रेफरेंडर में सभी कार्मिक पत्र के माध्यम से सहमत या असहमत को काउंट किया जाएगा. इसके बाद निजीकरण को लेकर आंदोलन तेज किया जाएगा.

प्रदेश के सभी रीजनों में इस तरह के बॉक्स रखकर कर्मचारियों से उनकी सहमत या असहमत की राय ली जा रही है. सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह का कहना है कि रेलवे की तरह ही रोडवेज में पहली बार रेफरेंडम की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. 12 दिसंबर से 20 दिसंबर तक बाकायदा कर्मचारियों की निजीकरण को लेकर सहमति लेने के लिए सभी कार्मिकों को सील बॉक्स में अपना पत्र डालना है.

UP Roadways
कर्मचारियों की राय लेने के लिए बॉक्स रखने के कार्यक्रम के दौरान मौजूद पदाधिकारी. (Photo Credit; ETV Bharat)

इसे 20 दिसंबर को ओपन किया जाएगा और सहमत की संख्या ज्यादा होगी तो आगे का आंदोलन तेज किया जाएगा. अगर असहमत की संख्या ज्यादा होती है तो फिर इस पर विचार किया जाएगा. उनका कहना है कि निजीकरण से परिवहन निगम के 55000 कर्मचारी प्रभावित होंगे. उन्होंने बताया कि चारबाग बस स्टेशन पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के मंत्री सुभाष चंद्र तिवारी और उद्यान महासंघ के अध्यक्ष अविनाश चंद्र श्रीवास्तव ने बॉक्स को सील कर दिया है.

संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास का कहना है कि परिवहन निगम लगातार निजीकरण की तरफ अग्रसर है. अपने 19 डिपो प्राइवेट हाथों में सौंप दिए हैं जिसका हम विरोध करते हैं. धीरे-धीरे निजीकरण हो जाएगा और कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. 55 हजार कर्मचारियों पर इसका असर पड़ेगा.

UP Roadways
कर्मचारियों की राय लेने के लिए बॉक्स रखने के कार्यक्रम के दौरान मौजूद पदाधिकारी. (Photo Credit; ETV Bharat)

हमें पूरी उम्मीद है कि बॉक्स में जो भी पत्र डाले जाएंगे उसमें निजीकरण से सहमत कर्मचारियों की संख्या ज्यादा होगी और इसी पर हम अपना आंदोलन खड़ा करेंगे. प्रदेश के परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री से मेरी मांग है कि व्यवस्थाएं पहले की ही तरह रहने दी जाएं. निजीकरण को बिल्कुल भी बढ़ावा न दिया जाए.

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत कुमार सिंह का कहना है कि 19 डिपो का कॉन्ट्रैक्ट जिन फर्मों को दिया गया है, वह अपना काम एक जनवरी से शुरू करेंगी. लखनऊ के अवध डिपो समेत प्रदेश के अन्य रीजनों के 19 डिपो के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राइवेट फर्मों को सौंपी गई है. कम कीमत पर यह सभी फर्म बसों को मेंटेन करेंगी.

ये भी पढ़ेंः खुशखबरी! यूपी रोडवेज के कर्मचारियों का बढ़ा 8 फीसदी महंगाई भत्ता, जानिए कितनी बढ़ेगी सैलरी?

Last Updated : Dec 13, 2024, 9:11 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.