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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 5 hours ago

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ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर हिमाचल में हो रहा भ्रष्टाचार, पूर्व मंत्री ने सुक्खू सरकार पर लगाए गंभीर आरोप - green energy project in Himachal

Vikram Singh slam Sukhu govt: पूर्व उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने सुक्खू सरकार से प्रदेश में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा सवाल किया है. उन्होंने कहा प्रदेश में लगाए गए एकमात्र ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट की लागत गुजरात में लगाए गए एक जैसी क्षमता के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट से 76 करोड़ रुपये अधिक है. डिटेल में पढ़ें खबर...

green energy project in Himachal
पूर्व उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने सुक्खू सरकार पर लगाए आरोप (फाइल फोटो)

कांगड़ा: पूर्व उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने धर्मशाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. ग्रीन एनर्जी को लेकर सुक्खू सरकार से उन्होंने तीखे सवाल पूछे. उन्होंने कहा जिन मुद्दों के दम पर कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में आई उनको लेकर भाजपा अक्सर आवाज उठाती है. पूर्व मंत्री ने कहा प्रदेश में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर बड़े घोटाले की बात सामने आई है.

"प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अक्सर मंचों पर ग्रीन एनर्जी को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन प्रदेश के ऊना जिला के पेखूवेला में लगे 32 मेगावाट के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा गोलमाल हुआ है उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन सीएम सुक्खू ने 15 अप्रैल 2024 को किया था और इसका बजट 220 करोड़ रुपये है."

विक्रम सिंह, पूर्व उद्योग मंत्री (ETV Bharat)

पूर्व मंत्री ने दावा करते हुए कहा "ऐसा ही एक प्रोजेक्ट जो कि 35 मेगावाट का गुजरात में लगा है उसकी लागत 144 करोड़ रुपये है. वहीं, गुजरात में इस प्रोजेक्ट का निर्माण करने वाली कंपनी 10 साल तक प्रोजेक्ट की मरम्मत और रखरखाव करेगी जबकि हिमाचल में लगे एकमात्र प्रोजेक्ट की मरम्मत और रखरखाव कंपनी मात्र 8 साल तक करेगी."

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि प्रोजेक्ट की इतनी ज्यादा लागत कैसे हुई. उन्होंने बताया कि पेखूवेला प्लांट को बरसात के दिनों में काफी नुकसान पहुंचा था. यह 50 प्रतिशत उत्पादन के साथ काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि इस हिसाब से अगर 2.90 रुपये प्रति यूनिट बिजली के हिसाब से बिजली आपूर्ति होती है तो 25 साल तक भी इस प्रोजेक्ट की लागत पूरी नहीं हो सकती, जबकि ऐसे प्रोजेक्ट 20 या 25 साल तक के लिए ही होते हैं. उन्होंने बताया कि इस ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर प्रदेश सरकार ने 500 करोड़ रुपये का लोन लिया जिससे चार प्लांट लगा सकते थे लेकिन हैरानी की बात यह है कि सिर्फ एक ही प्लांट लगाया गया.

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