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वकालातनामे पर फर्जी हस्ताक्षर का मामला, कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने के दिए निर्देश - forged signatures on petitions case - FORGED SIGNATURES ON PETITIONS CASE

वार्षिक ग्रेड पे देने की याचिकाओं में फर्जी हस्ताक्षर के मामले को राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने रजिस्ट्रार न्यायिक को मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत कर एफआईआर दर्ज कराने की प्रशासनिक अनुमति लेने के निर्देश दिए हैं.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 23, 2024, 7:47 PM IST

जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट में वकालातनामे पर फर्जी हस्ताक्षर करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक को मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत कर एफआईआर दर्ज कराने की प्रशासनिक अनुमति लेने के निर्देश दिए हैं.

जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ के समक्ष रणजीतसिंह व अन्य की ओर से एक संयुक्त याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी जिसमें वार्षिक ग्रेड पे को लेकर मामला था. कोर्ट के समक्ष याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रथम दृष्टया पाया गया कि वकालातनामे पर एक जैसे ही हस्ताक्षर प्रतित हो रहे हैं. कोर्ट को फर्जी हस्ताक्षर का अंदेशा होने पर रजिस्ट्रार न्यायिक को जांच करने के निर्देश दिए थे. रजिस्ट्रार न्यायिक ने सभी 101 याचिकाकर्ताओं को बुलाकर उनके अलग कागज पर हस्ताक्षर करवाए.

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रजिस्ट्रार न्यायिक ने सुनवाई के दोरान कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि 101 याचिकाकर्ताओं में से केवल 13 के हस्ताक्षर ही मिलान हो पाए हैं. ऐसे मे जस्टिस मेहता ने सुनवाई के बाद कहा कि न्याय की शुचिता एवं पवित्रता बनाए रखने के लिए कानून की प्रक्रिया आवश्यक है. कोर्ट ने रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिए हैं कि वे इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखेंगे ताकि मुख्य न्यायाधीश से एफआईआर दर्ज करने की प्रशासनिक मंजूरी ली जाए ताकि मामले की जांच की जा सके और जिम्मेदार व्यक्तियों पर कानून के अनुसार कारवाई हो सके. मामले को 16 मई को सुनवाई के लिए रखा गया है.

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गौरतलब है कि रणजीत सिंह चौहान सहित 101 याचिकाकर्ताओं ने 1 जुलाई को मिलने वाले वार्षिक ग्रेड पे देने की याचिकाएं पेश की थीं. अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता सेवानिवृत हो चुके हैं, लेकिन 1 जुलाई को मिलने वाली वार्षिक ग्रेड पे का भुगतान नहीं किया गया था. कोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान संयुक्त याचिकाओं को देखा, तो कोर्ट ने पाया कि ना केवल राजस्थान बल्कि अन्य राज्यों के याचिकाकर्ता भी हैं और राजस्थान में भी जोधपुर, नागौर, अलवर, जयपुर, बांसवाड़ा से हैं.

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कोर्ट ने जब देखा कि एक ही वकालातनामा है, लेकिन याचिका में कौन किस विभाग से सेवानिवृत हुआ, इसका भी हवाला नहीं दिया. तो कोर्ट ने कहा कि ये संयुक्त याचिका कैसे हो सकती है. अलग-अलग जगह से सब लोग एक साथ कब आए और कौन से विभाग से है. इसका भी उल्लेख याचिका में नहीं है. कोर्ट ने कहा कि वकालत नामे पर अधिकांश हस्ताक्षर एक जैसी लिखावट, एक ही कलम और एक ही हाथ से किए हुए प्रतीत हो रहे हैं.

कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक को कहा कि सभी याचिकाकर्ताओं को कोर्ट समय में 15 अप्रैल 2024 को बुलाया जाए. सभी याचिकाकर्ताओं को बिना दिखाए एक अलग सीट पर हस्ताक्षर करवाकर पूरी रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट की गंभीरता को देखते हुए अधिवक्ता ने कहा कि वे अपनी याचिका विड्रो करना चाहते हैं, तो कोर्ट ने अधिवक्ता की प्रार्थना को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है. फर्जी हस्ताक्षर लग रहे हैं, तो जांच होगी.

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