जोधपुर : राजस्थान हाईकोर्ट की न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ ने तृतीय श्रेणी अध्यापक एवं कर्मचारी नेता शंभूसिंह की निलंबन आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. अध्यापक और कर्मचारी नेता शंभूसिंह ने जोधपुर शहर में शिक्षा मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की थी और होर्डिंग लगाए थे. इसके बाद विभाग ने 19 सितंबर 2024 को उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी किया. याचिका में निलंबन आदेश को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद राहत देने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र में जांच अधिकारी स्वतंत्र रूप से जांच करने के लिए सक्षम हैं.
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता बंशीलाल भाटी ने निलंबन आदेश को उचित ठहराया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर याचिकाकर्ता का अभद्र व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के ड्यूटी पर बने रहने से न केवल जांच अधिकारी पर दबाव पड़ेगा, बल्कि अन्य कर्मचारियों में अनुशासनहीनता और गलत संदेश जाएगा. कोर्ट ने यह प्रश्न भी उठाया कि याचिकाकर्ता के व्यवहार का उन छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, जो उससे सीखते हैं. एक शिक्षक देश का निर्माता होता है. ऐसे शिक्षकों के अनुशासनहीन व्यवहार का समर्थन करना समाज और भविष्य की पीढ़ी के लिए हानिकारक होगा.
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याचिकाकर्ता की राजनीतिक गतिविधियों और कदाचार की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि अनुशासनात्मक जांच आवश्यक है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का दुरुपयोग समाज में अराजकता पैदा कर सकता है. दूसरों के आत्मसम्मान का सम्मान करते हुए आत्मसंयम बनाए रखना जरूरी है.