जयपुरः सनातन धर्म में 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र योग को सबसे श्रेष्ठ और उत्तम माना गया है. साल के आखिरी पुष्य नक्षत्र पर बुधवार को शहर के गणेश मंदिरों में प्रथम पूज्य का पंचामृत अभिषेक किया गया. गणेशजी को फूल बंगले में विराजित किया गया. साथ ही अथर्व शीर्ष के पाठ, गणपति अष्टोत्तरशत नामावली पाठ और गणपति स्त्रोत से भगवान गणेश को रिझाया गया.
ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है. इसे सभी नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है. इस बार बुध पुष्य के अवसर पर जयपुर के प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश का 151 किलो दूध, 21 किलो दही, 5 किलो घी, 21 किलो बूरा, शहद, केवड़ा जल, गुलाब जल, केवड़ा इत्र और गुलाब इत्र से अभिषेक किया गया. वहीं, भगवान श्री गणपति सहस्त्रनाम के पाठ कर 1001 मोदक अर्पित किए गए. भगवान को फूल बंगले में विराजित कर नवीन पोशाक धारण कराई गई. इस अवसर पर भगवान के खीर का विशेष भोग भी लगाया गया.
परकोटा गणेश जी को छप्पन भोगः जयपुर बसावट समय के बने परकोटा गणेश मंदिर में पुष्य नक्षत्र के मौके पर प्रथम पूज्य को छप्पन भोग की झांकी सजाई गई. भगवान गणपति का 101 किलो दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, सुगंधित औषधियों के गुनगुने जल से पंचामृत अभिषेक करा कर नवीन चोला धारण करवाया गया. प्रथम पूज्य की आकर्षक फूल बंगला झांकी सजाई गई. शरद ऋतु के चलते भगवान को गर्म तासीर वाले व्यंजनों का भोग लगाया गया. इस अवसर पर गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना की गई. गणपति अथर्वशीर्ष अष्टोत्तर नामावली से गणेश जी महाराज को 108 मोदक अर्पण किए गए. वहीं, श्रद्धालुओं को रक्षा सूत्र बांध हल्दी की गांठ और सुपारी वितरित किए गए.
नहर के गणेश मंदिर को नवीन पोशाक धारण कराईः उधर, नगर के अतिप्राचीन दाहिनी सूंड दक्षिणमुखी नहर के गणेशजी मंदिर में भी साल के अंतिम पुष्य नक्षत्र पर प्रथम पूज्य का दूर्वामार्जन से पंचामृत अभिषेक किया गया. इस मौके पर गणपतिअथर्वशीर्ष और श्री गणपति अष्टोत्तरशतनामावली का पठन किया गया. साथ ही पंचोपचार पूजा-अर्चना की गई. इसके बाद गणपति को नवीन साफा और पोषाक धारण करवाकर वैदिक मंत्रों से 21 मोदक अर्पित किए गए. शाम को 251 दीपकों से महाआरती की जाएगी. साथ ही श्रद्धालुओं को रक्षासूत्र वितरित किए जाएंगे.