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भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 6 मुद्दों पर सहमति, NSA अजित डोभाल वांग यी से मिले - AJIT DOVAL AND WANG YI MEETING

भारत और चीन सीमा पर शांति बनाए रखने साथ ही संबंधों में स्थिरता को लेकर कदम उठाने पर सहमत हुए हैं.

India, China Relation
एनएसए अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच मुलाकात (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को यहां विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान 'सार्थक चर्चा' की और छह सूत्री आम सहमति पर पहुंचे, जिनमें सीमाओं पर शांति बनाए रखने और संबंधों के स्वस्थ एवं स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए आगे भी कदम उठाना शामिल हैं.

चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक पांच वर्षों के अंतराल के बाद हुई पहली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच निकले समाधान का सकारात्मक मूल्यांकन किया तथा दोहराया कि कार्यान्वयन कार्य जारी रहना चाहिए. विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पदाधिकारियों का मानना​था कि सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों की समग्र स्थिति के परिप्रेक्ष्य में उचित तरीके से संभाला जाना चाहिए, ताकि संबंधों के विकास पर इसका असर न पड़े.

इसमें कहा गया कि दोनों पक्ष सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने तथा द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए. विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों ने 2005 में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमत राजनीतिक दिशानिर्देशों के अनुसार सीमा मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने तथा इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने सीमा की स्थिति का आकलन किया और सीमा क्षेत्र में प्रबंधन और नियंत्रण नियमों को और अधिक परिष्कृत करने, विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत करने तथा सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने पर सहमति जताई. इसमें कहा गया कि दोनों देश सीमा पार आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने तथा तिब्बत, चीन में भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा फिर से शुरू करने, सीमा पार नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमत हुए.

चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र को और मजबूत करने, कूटनीतिक और सैन्य वार्ता समन्वय और सहयोग को बढ़ाने तथा विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुवर्ती कार्यान्वयन में चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) को अच्छा काम करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की.

दोनों पक्षों ने अगले वर्ष भारत में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक का एक नया दौर आयोजित करने पर सहमति जताई और विशिष्ट समय का निर्धारण राजनयिक माध्यमों से किया जाएगा. इसके अलावा, दोनों पक्षों ने साझा चिंता वाले द्विपक्षीय, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक और गहन विचारों का आदान-प्रदान किया, तथा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए स्थिर, पूर्वानुमानित और अच्छे चीन-भारत संबंधों के महत्व को रेखांकित किया.

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक अलग प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वांग ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने चीन-भारत संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखने पर जोर दिया और महत्वपूर्ण क्षण में चीन-भारत संबंधों की बहाली और विकास की दिशा स्पष्ट की.

विज्ञप्ति में कहा गया कि पिछले 70 वर्षों में चीन-भारत संबंधों के उतार-चढ़ाव पर नजर डालें तो दोनों पक्षों द्वारा संचित सबसे मूल्यवान अनुभव द्विपक्षीय संबंधों पर दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का पालन करना, एक-दूसरे के बारे में सही समझ स्थापित करना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों का पालन करना और बातचीत और परामर्श के माध्यम से मतभेदों को ठीक से संभालना है.

वांग ने जोर देकर कहा कि आज की विशेष प्रतिनिधि बैठक दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति को लागू करने के लिए समय पर किया गया प्रभावशाली उपाय है. ‘यह कड़ी मेहनत से हासिल किया गया है और यह संजोकर रखने लायक है’. विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों में सीमा मुद्दे को ‘उचित स्थान’ पर रखना चाहिए, सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति बनाए रखना चाहिए और चीन-भारत संबंधों को यथाशीघ्र स्वस्थ और स्थिर विकास के रास्ते पर लौटने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

डोभाल ने वार्ता के बाद चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की. हान ने कहा कि प्राचीन सभ्यताओं और उभरती प्रमुख शक्तियों के रूप में चीन और भारत स्वतंत्रता, एकजुटता और सहयोग पर कायम हैं, जिसका वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक महत्व है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डोभाल पांच साल के अंतराल के बाद विशेष प्रतिनिधियों की 23वें दौर की वार्ता में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे. पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी.

पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय तक संबंधों में ठहराव आने के बाद यह पहली ठोस वार्ता थी, जो 21 अक्टूबर को सैनिकों के पीछे हटने और गश्त पर समझौते के बाद हुई . समझौते के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के कजान में मुलाकात की और समझौते का समर्थन किया.

मोदी-शी बैठक के बाद, विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष ने ब्राजील में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की, जिसके बाद चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक हुई.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसके बाद उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में घातक झड़प हुई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया.

भारत-चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा से जुड़े विवाद को निपटाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के इस तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में 22 बैठकें की हैं. इस तंत्र का गठन 2003 में किया गया था.

ये भी पढ़ें: 'मैं सपने में भी आंबेडकर का अपमान नहीं कर सकता', प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले अमित शाह

बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को यहां विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान 'सार्थक चर्चा' की और छह सूत्री आम सहमति पर पहुंचे, जिनमें सीमाओं पर शांति बनाए रखने और संबंधों के स्वस्थ एवं स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए आगे भी कदम उठाना शामिल हैं.

चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक पांच वर्षों के अंतराल के बाद हुई पहली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच निकले समाधान का सकारात्मक मूल्यांकन किया तथा दोहराया कि कार्यान्वयन कार्य जारी रहना चाहिए. विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पदाधिकारियों का मानना​था कि सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों की समग्र स्थिति के परिप्रेक्ष्य में उचित तरीके से संभाला जाना चाहिए, ताकि संबंधों के विकास पर इसका असर न पड़े.

इसमें कहा गया कि दोनों पक्ष सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने तथा द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए. विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों ने 2005 में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमत राजनीतिक दिशानिर्देशों के अनुसार सीमा मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने तथा इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने सीमा की स्थिति का आकलन किया और सीमा क्षेत्र में प्रबंधन और नियंत्रण नियमों को और अधिक परिष्कृत करने, विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत करने तथा सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने पर सहमति जताई. इसमें कहा गया कि दोनों देश सीमा पार आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने तथा तिब्बत, चीन में भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा फिर से शुरू करने, सीमा पार नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमत हुए.

चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र को और मजबूत करने, कूटनीतिक और सैन्य वार्ता समन्वय और सहयोग को बढ़ाने तथा विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुवर्ती कार्यान्वयन में चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) को अच्छा काम करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की.

दोनों पक्षों ने अगले वर्ष भारत में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक का एक नया दौर आयोजित करने पर सहमति जताई और विशिष्ट समय का निर्धारण राजनयिक माध्यमों से किया जाएगा. इसके अलावा, दोनों पक्षों ने साझा चिंता वाले द्विपक्षीय, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक और गहन विचारों का आदान-प्रदान किया, तथा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए स्थिर, पूर्वानुमानित और अच्छे चीन-भारत संबंधों के महत्व को रेखांकित किया.

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक अलग प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वांग ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने चीन-भारत संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखने पर जोर दिया और महत्वपूर्ण क्षण में चीन-भारत संबंधों की बहाली और विकास की दिशा स्पष्ट की.

विज्ञप्ति में कहा गया कि पिछले 70 वर्षों में चीन-भारत संबंधों के उतार-चढ़ाव पर नजर डालें तो दोनों पक्षों द्वारा संचित सबसे मूल्यवान अनुभव द्विपक्षीय संबंधों पर दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का पालन करना, एक-दूसरे के बारे में सही समझ स्थापित करना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों का पालन करना और बातचीत और परामर्श के माध्यम से मतभेदों को ठीक से संभालना है.

वांग ने जोर देकर कहा कि आज की विशेष प्रतिनिधि बैठक दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति को लागू करने के लिए समय पर किया गया प्रभावशाली उपाय है. ‘यह कड़ी मेहनत से हासिल किया गया है और यह संजोकर रखने लायक है’. विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों में सीमा मुद्दे को ‘उचित स्थान’ पर रखना चाहिए, सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति बनाए रखना चाहिए और चीन-भारत संबंधों को यथाशीघ्र स्वस्थ और स्थिर विकास के रास्ते पर लौटने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

डोभाल ने वार्ता के बाद चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की. हान ने कहा कि प्राचीन सभ्यताओं और उभरती प्रमुख शक्तियों के रूप में चीन और भारत स्वतंत्रता, एकजुटता और सहयोग पर कायम हैं, जिसका वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक महत्व है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डोभाल पांच साल के अंतराल के बाद विशेष प्रतिनिधियों की 23वें दौर की वार्ता में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे. पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी.

पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय तक संबंधों में ठहराव आने के बाद यह पहली ठोस वार्ता थी, जो 21 अक्टूबर को सैनिकों के पीछे हटने और गश्त पर समझौते के बाद हुई . समझौते के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के कजान में मुलाकात की और समझौते का समर्थन किया.

मोदी-शी बैठक के बाद, विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष ने ब्राजील में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की, जिसके बाद चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक हुई.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसके बाद उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में घातक झड़प हुई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया.

भारत-चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा से जुड़े विवाद को निपटाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के इस तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में 22 बैठकें की हैं. इस तंत्र का गठन 2003 में किया गया था.

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