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वन मंत्री सुबोध उनियाल की समीक्षा बैठक, प्रभागीय वनाधिकारियों को सौंपी वनाग्नि घटनाओं के कंट्रोल की जिम्मेदारी - FOREST DEPARTMENT REVIEW MEETING

वनाग्नि घटनाओं पर कंट्रोल की पूरी जिम्मेदारी संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी की होगी. ये फैसला वन मंत्री ने लिया है.

FOREST DEPARTMENT REVIEW MEETING
वन मंत्री सुबोध उनियाल की समीक्षा बैठक (photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 24 hours ago

देहरादून: हर साल उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की हजारों घटनाएं सामने आती हैं, जिसमें ना सिर्फ सैकड़ों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो जाते हैं, बल्कि वनाग्नि के चलते जंगली जानवरों और इंसानों को भी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में वनाग्नि को लेकर वन विभाग ने तैयारी तेज कर दी है. इसी क्रम में मंगलवार को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की.

समीक्षा बैठक में वनाग्नि नियंत्रण की तैयारियों समेत अन्य तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं पर समीक्षा की गई, जिसमें मुख्य रूप से तय किया गया कि वनाग्नि घटनाओं पर कंट्रोल की पूरी जिम्मेदारी संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी की होगी.

समीक्षा बैठक के दौरान लिए गए निर्णय

  • सभी जिलों में नोडल प्रभागीय वनाधिकारी संबंधित जिलाधिकारियों के साथ मिलकर, जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबंधन प्लान- 2025 की बैठकें कर अनुमोदित कराएंगे. साथ ही सभी प्लान 10 जनवरी 2025 तक वन मुख्यालय को भेजेंगे.
  • भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून से मिलने वाले सभी फायर एलर्टस का सत्यापन करवाकर फीड बैंक रिपोर्ट भेजी जाएगी. साथ ही वास्तविक स्थिति / विभागीय कार्रवाई की जानकारी समय-समय पर जारी की जाएगी.
  • फायर एलर्ट सिस्टम से विभागीय कार्मिकों के साथ ही प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, वनाग्नि प्रबंधन समितियों, आपदा मित्रों और वन पंचायत सरपंचों को भी जोड़ा जाएगा, जिससे वनाग्नि नियंत्रण के लिए रेस्पॉन्स टाइम को कम से कम किया जा सके.
  • वनाग्नि को कंट्रोल करने के लिए जारी बजट का नियमानुसार और त्वरित रूप से इस्तेमाल कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा.
  • वनाग्नि नियंत्रण में सक्रीय योगदान देने वाली वनाग्नि प्रबंधन समिति, वन पंचायतें और महिला व युवा मंगलदल को सम्मानित किया जाएगा.
  • अल्मोड़ा वन प्रभाग के तहत जन-सहभागिता के सफल प्रयास (शीतलाखेत मॉडल) को अन्य जिलों में भी अपनाया जाए, इसके लिए अन्य जिलों से वनाग्नि प्रबंधन समिति/विभागीय कार्मिकों को एक्सपोजर विजिट कराए.
  • वनाग्नि कंट्रोल के लिए संवेदनशील वन क्षेत्रों में जलकुंड/परकुलेशन टैंक/चाल-खाल का निर्माण किया जाए, ताकि इन क्षेत्रों की मॉइस्चर रिजीम बढ़ाई जा सके.
  • वनाग्नि नियंत्रण के लिए पिरूल एकत्रीकरण पर विशेष जोर दिया जाए, ताकि पिरूल से ब्रिकेट्स / पेलेट्स और बायोचार जैसे उत्पाद बनाने के लिए यूनिटों की स्थापना को उद्यमियों का आवश्यक सहयोग दिया जा सके.

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