मिर्जापुर/वाराणसी/फर्रुखाबाद: पड़ोसी राज्यों उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में हो रही भारी बारिश के चलते यूपी में नदियां उफान पर हैं. सबसे ज्यादा कहर गंगा नदी बरपा रही है. बनारस-मिर्जापुर और फर्रुखाबाद में गंगा नदी खतरे के निशान के पास पहुंच गई है. गंगा किनारे की बस्तियों के मकानों में पानी घुस गया है. फसलें डूब गई हैं, इससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
मिर्जापुर में गंगा नदी आबादी में पहुंची: मिर्जापुर जनपद में बाढ़ का कहर शुरू हो गया है. तीन दिन से लगातार बढ़ रहे गंगा का पानी फसलों को डूबाते हुए आबादी की ओर बढ़ने लगा है. कुछ इलाकों में आबादी तक पानी पहुंच गया है. सड़कों पर पानी भर जाने से कई गांवों का संपर्क टूट गया है. घरों तक पानी पहुंच जाने से ग्रामीणों को नाव के सहारे बाहर सुरक्षित निकाला जा रहा है. गांव चारों तरफ पानी से घिर गए हैं.
ग्रामीण अपने सामानों के साथ सुरक्षित स्थान ले जा रहे हैं. छानबे, कोन, मझवां, और सीखड़ ब्लाक के खेतों में पानी पहुंच जाने से मूंगफली मक्का तिल मिर्च और सब्जी की फसल जलमग्न होने से चौपट हो गई हैं. सोमवार 12 बजे तक 0.50 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा के जलस्तर में वृद्धि हो रही थी. गंगा का जलस्तर 76.50 मीटर पर पहुंच गया है. चेतावनी बिंदु 76.724 मीटर और खतरे का निशान 77.724 मीटर है.
वाराणसी में गंगा ने पार किया वार्निंग लेवल: धर्म और आध्यात्मिक नगरी काशी में इन दिनों गंगा खतरे के निशान की तरफ तेजी से बढ़ रही है. आज गंगा का जलस्तर वार्निंग लेवल से ऊपर पहुंच चुका है और अब गंगा गलियों की तरफ रुख कर चुकी है. गंगा से सटे इलाकों में गंगा का जलस्तर कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पहुंचने की वजह से लोगों के घरों तक पहुंच चुका है.
गंगा की सहायक नदी वरुणा का भी हाल ऐसा ही है और तटीय इलाकों में वरुणा का जलस्तर घरों में घुसने की वजह से लोगों को पलायन पर मजबूर होना पड़ रहा है. अचानक से गंगा और वरुणा में हो रही बढ़ोतरी का असर यहां आने वाले पर्यटकों के साथ ही महाश्मशान घाट पर शवदाह के लिए पहुंचने वाले शवों पर भी देखने को मिल रहा है.
दरअसल गंगा और वरुणा के जलस्तर में पिछले चार दिनों से बढ़ोतरी तेज हो गई है. चार दिन पहले जहां 20 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही थी, वह घटकर 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर आ गई है, लेकिन लगातार हो रही बढ़ोतरी का असर गंगा के किनारे रहने वाले लोगों के जीवन पर पड़ रहा है.
वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर तो गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी की वजह से 6 फीट सकरी गलियों में शवों के दाह संस्कार के लिए नौका का संचालन हो रहा है, क्योंकि गंगा का जलस्तर गलियों में पहुंचने के बाद शवदाह स्थल तक जाने के लिए पैदल जाना संभव नहीं है.
इसलिए नौकाओं के जरिए लोगों को डेड बॉडी लेकर शवदाह स्थल तक जाना पड़ रहा है. नीचे पूरी तरह से पानी में सब कुछ डूब जाने के कारण ऊपर छत पर एक बार में सिर्फ 10 से 12 शब्दों का ही दाह संस्कार हो पा रहा है, जिसके कारण यहां आने वाले प्रतिदिन 35 से 40 शवों को दाह संस्कार के लिए इंतजार भी करना पड़ रहा है.
एक शव को जलने में लगभग 4 से 5 घंटे का वक्त लगता है. ऐसी स्थिति में दो से तीन घंटे की वेटिंग शब्दों के लिए देखनी पड़ रही है. हरिश्चंद्र घाट पर भी गलियों में अंतिम संस्कार संपन्न हो रहा है.
खतरे के निशान पर पहुंची गंगा: फर्रुखाबाद जिले में पहाड़ी इलाकों में हो रही वर्षा से बांधों से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है. जिससे रामगंगा उफनाने लगी है. गंगा का जलस्तर बढ़कर खतरे के निशान पर पहुंच गया है. गंगा के तटवर्ती गांव से पानी भर जाने से ग्रामीणों का जनजीवन स व्यस्त हो गया है. बाढ़ क्षेत्र के लोगों ने बताया कि सैकड़ों एकड़ भूमि जलमग्न है. खेतों में मवेशी का चारा पीला पड़ गया. गोभी की फसल भी बर्बाद हो गई. धान की फसल में भी नुकसान की आशंका बनने लगी है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से करीब एक दर्जन से अधिक गांव में पानी भर गया है जिससे लोगों का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.
गंगा का जलस्तर 10 सेंटीमीटर खतरे के निशान 137.10 मीटर तक पर पहुंच गया है. जिससे जलस्तर बढ़ने की आशंका बढ़ गई है. उधर रामगंगा का जलस्तर एक ही रात में 105 सेंटीमीटर बढ़कर 135.80 मीटर ऊंचाई पर पहुंच गया है. जो चेतावनी बिंदु 136.60 मीटर से अभी 80 सेंटीमीटर नीचे है.नरौरा बांध से भी पानी छोड़ा गया है. वहीं रामगंगा का जलस्तर भी बढ़ाने की आशंका बताई जा रही है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों ने भी दस्तक दे दी है.वहीं जिले के अधिकारी व कर्मचारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं. हर सुविधा देने का प्रयास कर रहे हैं.
बाराबंकी में जनजीवन अस्त व्यस्त
नेपाल के बैराजों से सरयू नदी में लगातार छोड़े जा रहे पानी से बाराबंकी के तराई क्षेत्रों में बसने वाली ग्रामीण जनता का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. उफनाई नदी खतरे के निशान से तकरीबन 90 सेमी ऊपर बह रही है. यह जलस्तर इस सत्र के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है. 15 से अधिक गांवों का सम्पर्क टूट गया है.