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पर्वतारोहण और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए नए डेस्टिनेशन की खोज, पांच युवाओं ने खोजा नया पैदल ट्रेक - CHOPTA MADMAHESHWAR TREKKING ROUTE

उत्तराखंड के पांच युवाओं ने खोज निकाला चोपता-मदमहेश्वर के बीच नया पैदल ट्रेक, करीब 78 किमी लंबा है ट्रेक, खूबसूरत और जोखिम भरा है ट्रेक

Chopta Madmaheshwar Trekking Route
चोपता मदमहेश्वर पैदल ट्रेक की खोज (फोटो सोर्स- Trekker Ajay Panwar)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 7, 2024, 7:14 PM IST

Updated : Oct 7, 2024, 7:53 PM IST

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर (मद्ममहेश्वर) घाटी समेत विभिन्न क्षेत्रों के 5 युवाओं ने पहली बार चोपता-विसुणीताल-खमदीर-शेषनाग कुंड-नंदीकुंड-मदमहेश्वर 78 किमी पैदल ट्रेक की खोज की है. पैदल ट्रेक की खोज करने के बाद सभी युवा अपने घरों को सकुशल लौट आए हैं. इस पैदल ट्रेक की खोज करने में इन युवाओं को पांच दिन का समय लगा. खास बात ये है कि पैदल ट्रेक के सबसे ऊंचाई 4,900 मीटर पर अनाम पास से चौखम्बा को काफी नजदीक से निहार सकते हैं.

5 युवाओं ने खोज डाली पैदल ट्रेक:पैदल ट्रेक की खोज युवाओं ने गूगल मैप से की है. जिसका मुख्य उद्देश्य युवाओं का हिमालय के रास्ते पांचों केदारों की यात्रा को जोड़ने के साथ विसुणीताल को पर्यटक स्थल के रूप में जोड़ना और विसुणीताल-खमदीर-शेषनाग-नंदीकुंड पैदल ट्रेक को विकसित कर विशिष्ट पहचान दिलाना है. पैदल ट्रेक पर खमदीर-शेषनाग 10 किमी सबसे कठिन और जोखिम भरा है. युवाओं की मानें तो विसुणीताल-खमदीर व शेषनाग-नंदीकुंड के भूभाग को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है.

चोपता-मदमहेश्वर के बीच नया पैदल ट्रेक (वीडियो सोर्स- Trekker Ajay Panwar)

डिजिटल रूट बनाने को लेकर की रिसर्च:खमदीर के पास सबसे ऊंचाई पर अनाम पास से प्रकृति के अनमोल खजाने और चौखम्बा की श्वेत चादर को करीब से देख सकते हैं. इस अभियान के लिए पिछले 6 महीने से मदमहेश्वर घाटी गौंडार निवासी अभिषेक पंवार और टिहरी के बडियारगढ़ निवासी विनय नेगीने डिजिटल रूट बनाने को लेकर रिसर्च की थी, जिससे उन्होंने भारतीय सर्वेक्षण विभाग के विभिन्न टोपोग्राफिकल सीट या मैप्स, गूगल अर्थ, गूगल मैप, पीक फांडर और गैया सॉफ्टवेयर मैप की मदद ली.

चोपता-मदमहेश्वर 78 किमी नया पैदल ट्रेक (फोटो सोर्स- Trekker Ajay Panwar)

ऐसी रही यात्रा:युवाओं ने इस यात्रा के लिए दो डिजिटल रूट बनाए थे, जिसमें एक मुख्य मार्ग था और दूसरा वैकल्पिक मार्ग. पहले दिन युवाओं की टीम ने चोपता-मर्तोली-चित्रा वड्यार होते हुए विसुणीताल पहुंची. इस दिन उन्होंने 16 किमी दूरी तय की. दूसरे दिन युवाओं की टीम विसुणीताल (बिसुड़ीताल) से दवा-मरूड़ा और डंगडनिया खाल होते हुए आगे बढ़ी, लेकिन मौसम खराब होने के कारण ही कैंप करना पड़ा. दूसरे दिन युवाओं की टीम ने 13 किमी की दूरी तय की. तीसरे दिन टीम खमदीर पास (4500) मीटर पर पहुंची और कैंप किया. इस दिन 14 किमी की दूरी तय की.

पैदल ट्रेक की खोजने वाले 5 युवा (फोटो सोर्स- Trekker Ajay Panwar)

चौथे दिन टीम कैंपिंग स्थल से दो ग्लेशियर पार करते हुए शेषनाग कुंड और नंदीकुंड होते हुए पांडव सेरा पहुंची. चौथे दिन युवाओं ने 14 किमी की दूरी तय की और पांचवे दिन टीम सेरा गाड़ और द्वारी गदेरा को पार करते हुए 22 किमी दूर मदमहेश्वर पहुंचे. पैदल ट्रैक पर यह पहली यात्रा थी, जिसका अभी तक कोई भी मार्ग निर्धारित नहीं हुआ है. इन पांचों युवाओं ने खुद अपना रूट मैप बनाकर यह अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया.

खतरनाक रास्तों से होकर गुजरे युवा (फोटो सोर्स- Trekker Ajay Panwar)

क्या बोले ट्रेकिंग में शामिल युवा:दल में शामिल गौंडार निवासी अजय पंवार ने बताया कि रुद्रप्रयाग जिले में एडवेंचर टूरिज्म के साथ स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ऐसे अभियानों से पहाड़ की खूबसूरत जगह देश दुनिया के सामने आएगी. वहीं, पर्वतारोहण और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए भी नए डेस्टिनेशन मिलेंगे. दल में शामिल अगस्त्यमुनि डांगी निवासी विपिन सिंह ने बताया कि हिमालयी भूभाग में पंच केदार यात्रा को जोड़ने के लिए अंसख्य पैदल ट्रेक हैं, लेकिन उन पैदल ट्रेकों को ढूंढने के लिए अदम्य साहस और संसाधन जरूरी हैं.

दल में शामिल टिहरी जिले के बडियारगढ़ निवासी विनय नेगी ने बताया कि विसुणीताल से लेकर खमदीर के आंचल में फैले प्रकृति के अनमोल खजाने से रूबरू होने से मन प्रफुल्लित हो जाता है, लेकिन इस पूरे ट्रेक पर बर्फीली हवाओं का सामना करना जोखिम भरा है. दल में शामिल केदारघाटी बड़ासू निवासी संजय सिंह ने बताया कि खमदीर से लेकर शेषनाग कुंड 10 किमी का सफर पथरीला और जोखिम भरा है. खमदीर के शिखर से मदमहेश्वर घाटी के हिमालयी क्षेत्रों की असंख्य हिमाच्छादित पर्वत श्रृखलाओं का अद्भुत नजारा सदैव मानस पटल पर अविस्मरणीय रहेगा.

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Last Updated : Oct 7, 2024, 7:53 PM IST

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