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सरकार को बदनाम करने के लिए सीएडी के अधिकारी नहीं छोड़ रहे नहरों में पानी: किसान नेता - Farmers allegation on CAD - FARMERS ALLEGATION ON CAD

खरीफ की फलसों के लिए किसान चंबल नदी की दाईं और बाईं मुख्य नहरों से पानी दिए जाने की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि सीएडी अधिकारी सरकार को बदनाम करने के​ लिए पानी नहीं दे रहे हैं.

farmer leader giriraj gautam
किसान नेता गिर्राज गौतम (ETV Bharat Kota)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 5, 2024, 5:25 PM IST

किसान नेता ने सीएडी अधिकारियों पर लगाया ये आरोप (ETV Bharat Kota)

कोटा. आगामी 8 जुलाई को चंबल कमांड एरिया (सीएडी) की बैठक होने वाली है. इस बैठक से पहले किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार को बदनाम करने के लिए सीएडी अधिकारी नहरों का पानी नहीं छोड़ रहे हैं. किसानों की मांग है कि खरीफ की फसल के लिए चंबल नदी की दाईं और बाईं मुख्य नहरों से पानी दिया जाए.

सिंचाई जल को लेकर बीते दिनों बूंदी के केशोरायपाटन में कोटा लालसोट मेगा हाइवे को जाम करने का प्रयास भी किया गया था. इसके साथ ही किसानों ने कोटा बैराज का कूच किया था, लेकिन बूंदी पुलिस ने उन्हें केशोरायपाटन में ही समझा बुझाकर रोक लिया था. बाद में कुछ किसानों को गिरफ्तार किया था. इसके बाद 8 जुलाई को किसानों के संबंध में बैठक आयोजित की जा रही है, लेकिन इसके पहले किसान संगठनों ने फिर एक बार मीडिया से बातचीत करते हुए चेतावनी सरकार और प्रशासन को दी है.

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किसान नेता गिर्राज गौतम ने जनप्रतिनिधियों पर भी आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान प्रत्याशी दावे कर रहे थे कि किसानों को खरीफ और रबी दोनों सीजन में पानी उपलब्ध कराया जाएगा. अब किसानों के मुद्दे पर कोई भी आवाज नहीं उठा रहा है. गौतम ने कहा कि 2.5 लाख हेक्टेयर में धान की फसल होती है. हम 3 महीने पहले ही नहरे में पानी छोड़ने के बारे में आग्रह कर चुके थे. बीते साल भी 17 जुलाई को पानी छोड़ा गया था. ऐसे में इस बार भी पानी छोड़ा जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो करोड़ों रुपए के धान की फसल में नुकसान हो जाएगा. हम केवल 1000 से 1500 क्यूसेक पानी नहरों में छोड़ने की मांग कर रहे हैं. डैम में पानी भी है और अभी बारिश से पानी एकत्रित भी होगा. आगामी 8 जुलाई को सीएडी प्रशासन ने हमारे पक्ष में फैसला नहीं किया, तो हम उसी दिन बैराज का कूच सीएडी से कर जाएंगे.

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केशोरायपाटन के किसान दिलबाग सिंह का कहना है कि वे लंबे समय से धान की फसल कर रहे हैं और नहरी पानी मिलने पर धान का अच्छा उत्पादन होता है. करीब 8 क्विंटल प्रति बीघा तक उत्पादन चला जाता है, लेकिन भूमिगत जल और बारिश के पानी से बढ़ा उत्पादन करीब चार क्विंटल प्रति बीघा के आसपास रह जाता है. उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, सरकार और अधिकारियों को भी सोचना चाहिए कि किसान को उसके हक का पानी मिले.

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