भोजपुर:बिहार का हर जिला किसी न किसी चीज के लिए फेमस है. भोजपुर के सकड्डी का पेड़ा भी लोग खूब पसंद करते हैं. अगर आप पटना से भोजपुर-बक्सर-सासाराम जा रहे हैं और आपने अभी तक सकड्डी में रुककर यहां के पेड़े का स्वाद नहीं चखा तो आप एक लाजवाब पेड़े के स्वाद से वंचित हो गए हैं.
सकड्डी में मिलता है ये फेमस पेड़ा:आरा-पटना मुख्य मार्ग पर सकड्डी आते ही वाहनों की रफ्तार धीमी हो जाती है. लग्जरी वाहनों से गुजरने वाले लोग भी सकड्डी में रुककर यहां के मशहूर पेड़े का स्वाद जरूर चखते हैं. शुद्ध दूध से बने पेड़े के लिए यह जगह काफी प्रसिद्ध है. सकड्डी का पेड़ा बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों से आए लोगों को भी खूब पसंद आता है.
विदेश तक यहां के पेड़ों की है डिमांड: जिला मुख्यालय से सकड्डी की दूरी करीब 12 किलोमीटर है. आप आरा से बस और ऑटो लेकर सकड्डी पहुंच सकते हैं. वहीं कोइलवर स्टेशन से भी यहां उतरकर पहुंचा जा सकता है, जिसकी दूरी करीब 6 किलोमीटर है. सकड्डी पहुंचते ही सड़क किनारे आपको पेड़े की दर्जनों दुकाने दिखाई देंगी. पेड़े के दीवानों के लिए पटना से आरा के रास्ते में सकड्डी एक बेहतरीन जगह है. जहां के पेड़े लोग अपने घर तक ले जाते हैं. यही नहीं विदेश में यहां के रहने वाले लोग अपने परिजनों से पेड़ा मंगवाना नहीं भूलते.
40 साल पुरानी है पहली पेड़ा दुकान:पेड़ा दुकान संचालक रंजीत कुमार बताते हैं कि सकड्डी में तिरंगा जी की दुकान पेड़ों के लिए काफी मशहूर है. यह दुकान 1986 में शुरू की गई थी. तिरंगा जी के मरणोपरांत यह दुकान अब संतोष संभालते हैं. रंजीत ने आगे बताया कि जैसे-जैसे यहां के पेड़े की मांग बढ़ती गई, कई नई दुकानें खुलती गईं. रंजीत कुमार की दुकान पर रोजाना 4 से 5 क्विंटल दूध का पेड़ा तैयार होता है.
"इस रास्ते से गुजरने वाले सैकड़ों वाहन विभिन्न दुकानों पर रूकते हैं और कई लोग दुकानों पर ही पेड़े खाते या पैक करवाकर ले जाते दिखते हैं. सकड्डी में मेरा भी काफी पुराना मशहूर पेड़े का दुकान है. यहां रोजाना 4 से 5 क्विंटल दूध का पेड़ा तैयार होता है."-रंजीत कुमार, पेड़ा दुकान संचालक