बिहार

bihar

ETV Bharat / state

बिहार में खाइए 2 किलो का रसगुल्ला, कीमत 600 रुपये, रोचक है इसका नाम - GAYA FAMOUS RASGULLA

बिहार का ये रसगुल्ला आपको हैरान कर देगा, यहां मिलता है सबसे बड़ा रसगुल्ला. चौकिए मत, इस रसगुल्ले का वजन 2 किलो तक होता है.

GAYA FAMOUS RASGULLA
गया में एक किलो का रसगुल्ला (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 24, 2025, 8:29 PM IST

गया: आपने बिहार की बहुत सी प्रसिद्ध चीजे खायी होंगी जैसे कि लीची, आम, लाई, तिलकुट आदि लेकिन क्या आपने कभी 2 किलो का रसगुल्ला खाया है? बिहार के गया जिले में पंडित जी की मिठाई दुकान पर आधा किलो से लेकर 2 किलो वजन तक का रसगुल्ला मिलता है. इस रसगुल्ले की कीमत सुन आप हैरान रह जाएंगे.

राष्ट्रपति ने चखा यहां के रसगुल्ले का स्वाद:दरअसल गया में पंडित जी का रसगुल्ला काफी प्रसिद्ध है. यहां एक रसगुल्ला की कीमत 300 से लेकर 600 रुपये तक है. वैसे यहां 10-15 रूपये वाला एक रसगुल्ला भी मिलता है. खास बात यह है कि पंडित जी के रसगुल्ले का स्वाद कई मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र के नेता और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक ले चुकी हैं.

गया में एक किलो का रसगुल्ला (ETV Bharat)

यहां मिलता है दो किलो तक का रसगुल्ला: यहां के रसगुल्ले को पेटभरवा, गलफार और सगुनिया रसगुल्ला के नाम से भी जाना जाता है. जिले के पंचानपुर के पंडित जी का रसगुल्ला काफी प्रसिद्ध है. जो भी नेता या अफसर यहां आते हैं या इस रूट से गुजरते हैं, तो पंडित जी के रसगुल्ले का स्वाद चखना नहीं भूलते हैं. पंडित जी का रसगुल्ला 50 ग्राम से लेकर 1 किलो, डेढ़ किलो और 2 किलो तक के वजन में उपलब्ध होता है.

क्या है इस रसगुल्ला की कीमत?: एक किलो का रसगुल्ला 300 रूपये, डेढ़ किलो का 450 और 2 किलो का रसगुल्ला 600 रूपये में मिलता है. यहां 50 ग्राम से लेकर 100 ग्राम, 200 ग्राम, 250 ग्राम, 400 ग्राम, 500 ग्राम, 750 ग्राम, 1 किलोग्राम, डेढ़ किलोग्राम और 2 किलोग्राम में रसगुल्ले बनते हैं. प्रतिदिन 1 से 2 किलो वाला रसगुल्ला यहां कई किलो बिकता है.

रसगुल्ला बनाने में लगता है 3 घंटा (ETV Bharat)

कई राजनीतिक हस्तियों ने की तारीफ: पंडित जी के रसगुल्ले का यूं ही नाम नहीं है. पंडित जी का रसगुल्ला बिहार की सियासत से लेकर दिल्ली तक जाता है. यहां के रसगुल्ले का स्वाद महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी ले चुकी हैं. वैसे यहां के रसगुल्ले की प्रशंसा करने वाले में कई राजनीतिक हस्तियों का नाम है. पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिंदेश्वरी दुबे, कर्पूरी ठाकुर खुद पंडित जी की दुकान पर ये रसगुल्ले खा चुके हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो रहे लालू प्रसाद यादव, गिरिराज सिंह, आईएएस बृजेश मल्होत्रा, आईपीएस सुनील कुमार समेत कई आईएएस-आईपीएस पंडित जी के रसगुल्ले के मुरीद रहे हैं.

भेंट में भेजा गया यहां का रसगुल्ला: यहां का रसगुल्ला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साहित्यिक सलाहकार व राज्यसभा सांसद रहे दीनानाथ मिश्र द्वारा उन्हें भेंट किया गया था. इसी प्रकार औरंगाबाद के पूर्व सांसद केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने यहां के रसगुल्ले को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेंट किया था. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उप प्रधानमंत्री रह चुके लाल कृष्ण आडवाणी भी यहां के रसगुल्ला खा चुके हैं.

कई राजनीतिक हस्तियों ने चखा यहां का रसगुल्ला (ETV Bharat)

कैसे पड़ा रसगुल्ले का ये नाम?: पंडित जी के रसगुल्ले को पेटभरवा, गलफार और शगुनिया भी कहा जाता है. इसकी अपनी एक कहानी है. जब छात्र पंडित जी का रसगुल्ला खाते हैं, तो इतना बड़ा रसगुल्ला उन्हें मिल जाता है कि उससे पेट भर जाता है. इसलिए छात्रों के बीच पेटभरवा रसगुल्ला के नाम से यह प्रचलित है. इसी प्रकार पुलिस जब अपने अभियान पर निकलती है, तो शगुन के तौर पर पंडित जी का रसगुल्ला खाना नहीं भूलती है. वहीं नक्सली भी कुछ ऐसे ही सोच के साथ पहले यहां का रसगुल्ला खाते थे.

बीडीओ साहब की खाली कर दी जेब: गलफार रसगुल्ला नाम के पीछे एक अजब कहानी है. कहा जाता है, कि एक बीडीओ साहब यहां रसगुल्ला खाने आए थे. चार-पांच साथियों के साथ वो यहां पहुंचे थे. अलग-अलग साइज में रसगुल्ले थे, तो सभी ने एक रेट समझ कर इतने रसगुल्ले खा लिए कि बीडीओ साहब के पैसे कम पड़ गए. तब से ही इसका गलफार रसगुल्ला नाम पड़ा. उन्होंने पंडित जी को साफ कहा कि वह बड़े रसगुल्ला बनाना बंद कर दें. वहीं एक पुष्पांकर पांडे नाम के दारोगा आए तो उन्होंने कहा कि बड़े साइज में रसगुल्ले बनाईये. तब से ये रसगुल्ला काफी प्रसिद्धी पा रहा है.

गया में है पंडित जी की मिठाई दुकान (ETV Bharat)

यूपी में सीखी रसगुल्ले बनाने की कारीगरी:वर्ष 1969 में पंडित जी के रसगुल्ले की दुकान की शुरुआत हुई थी. इसके पीछे भी बड़ी कहानी है. बताया जाता है कि टिकारी राज में पंच देवता मंदिर के पुजारी इनके दादा और पिता थे. जब टिकारी राज का शासन खत्म हुआ, तो पंच देवता मंदिर में काम छूट गया. इसके बाद वो काम की तलाश में यूपी चले गए. यूपी में उन्होंने रसगुल्ले बनाने की कारीगरी सीखी और रेलवे कैंटीन में काम भी किया. हालांकि किसी कारणवश परमानेंट होते-होते रह गए.

गया में कहां है ये दुकान:वो काम की तलाश में कुछ राज्यों में रहे और फिर पंचानपुर में रसगुल्ले की दुकान खोल दी. सबसे पहले यह दुकान गया में बिजली हाउस के पास खोली गई थी. फिर इसके बाद यह दुकान पंचानपुर में खोली गई. पंचानपुर में जब यह दुकान खुली, तो पंडित जी के रसगुल्ले की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी. जिला मुख्यालय से आईएएस-आईपीएस से लेकर डीएसपी-एसडीओ तक आने लगे.

यहां का एक रसगुल्ला नहीं खा पाते लोग (Etv Bharat)

हजारों की नौकरी छोड़कर इस धंधे को अपनाया: अमन कुमार पंडित जी के परिवार के हैं. वो बताते हैं कि उनके पिता चार भाई हैं. सभी मिलकर यहां इस रसगुल्ले की दुकान को चला रहे हैं. उन्होंने ने भी बीटेक किया. प्रोडक्शन कंपनी में नौकरी भी मिली था लेकिन हजारों की नौकरी के बीच उन्हें अपना काम पसंद आया और अब रसगुल्ले के धंधे को ही उन्होंने अपना लिया है. यहां पपीता, अमरूद, केला समेंत अन्य फलों की भी मिठाई बनाई जाती है.

"मेरे पिता अपने चार भाइयों के साथ ये दुकान चलाते हैं. मैंने बीटेक की पढ़ाई की है, कॉलेज खत्म होने के बाद मुझे नौकरी भी लगी थी. हालांकि मैंने वो हजारों की नौकरी छोड़कर अपने रसगुल्ले के धंधे को ही अपना लिया है."-अमन कुमार, दुकानदार के बेटे

25 पैसे से खोली थी दुकान: वहीं पंडित जी रसगुल्ले की दुकान चलाने वाले चार भाइयों में से एक चंद्र किशोर मिश्रा बताते हैं कि 1969 में यह दुकान खोली थी. 25 पैसे से इसकी शुरुआत की गई थी और आज काफी अच्छी तरक्की हुई है. ग्राहक के रूप में एक दारोगा पुष्पांकर पांडे आए थे. वह बोले थे, कि छोटा से बड़ा रसगुल्ला बनाईये. तब से बड़ा रसगुल्ला बनना शुरू हुआ और अब 2 किलो तक का रसगुल्ला बनता है, जो की 600 रूपये का होता है.

इस तरह से पैक करके दिया जाता है रसगुल्ला (Etv Bharat)

"यहां रोज 1 किलो, डेढ़ किलो, 2 किलो के रसगुल्ले की बिक्री होती है. बड़े-बड़े राजनेता इसे पसंद करते हैं. गिफ्ट में भी भेजा जाता है. राजनीति के बड़े-बड़े हस्तियां इसे पसंद करती हैं. बिहार से लेकर दिल्ली तक यहां के रसगुल्ले का नाम है. खासियत यह है, कि यह शुद्धता के साथ बनाया जाता है. केमिकल का यूज नहीं होता है."-चंद्र किशोर मिश्रा, दुकानदार

पढ़ें-सिर्फ सर्दियों में मिलता है ये खास रसगुल्ला, सेहत के लिए भी है गुणकारी - WINTER SPECIAL RASGULLA

ABOUT THE AUTHOR

...view details