भावनाथ पंडित,हल्द्वानी: सीमांत पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले एथलीट मान सिंह एथलेटिक्स के क्षेत्र में देश और दुनिया में उत्तराखंड का नाम रोशन कर रहे हैं. एशियाई मैराथन चैंपियनशिप 2024 अपने नाम कर इतिहास रचने वाले मान सिंह ने एक और खिताब जीता है. मान सिंह ने 23 फरवरी 2025 को दिल्ली के नेहरू स्टेडियम से आयोजित नई दिल्ली मैराथन दौड़ के 10वें संस्करण का खिताब अपने नाम किया है. वहीं, मैराथन में झंडे गाड़कर लौटे मान सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने अपने अनुभव साझा किए.
ईटीवी भारत से बातचीत में एथलीट मान सिंह ने बताया कि उनका जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी तहसील के छोटे से गांव मेतली कुंडिया हुआ. प्रारंभिक जीवन गांव में ही बीता. बचपन से उन्हें दौड़ने का बहुत शौक था. उनके गांव में सड़क न होने से वो करीब 3-4 किलोमीटर दूर पैदल ही स्कूल जाते थे. अभी भी गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए 10 से 12 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है, लेकिन इन तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने खुद को तराशा.
बचपन से खेलकूद में लेते थे हिस्सा:मान सिंह ने बताया कि वो बचपन से ही स्कूल के खेलकूद हों या अन्य प्रतियोगिता में भाग लेते आ रहे हैं. स्कूली दौड़ में वो हमेशा प्रथम स्थान हासिल करते थे. जिससे चलते उनके मन में आया कि क्यों न खेल के माध्यम से अपने करियर को बनाया जाए. इसके अलावा बचपन से भारतीय सेना में सेवा करने की जज्बा भी था. इन्हीं जज्बों को बरकरार रखते हुए उन्होंने सेना भर्ती की तैयारी की. आखिरकार वे सेना में भर्ती भी हो गए.
भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे मान सिंह:मान सिंह बताते हैं कि भारतीय सेना में भर्ती होने के बाद उन्हें पता चला कि आर्मी में खेल का बड़ा महत्व है. जिसके बाद उन्होंने एथलीट की प्रैक्टिस को शुरू कर दिया. जहां आर्मी के अधिकारियों का उनका पूरा सपोर्ट मिला. उन्होंने बताया कि आर्मी में आने के बाद रनिंग ज्यादा करने लगा था. बस वहीं से धावक बनने का ख्याल मन में आया. इसके बाद साल 2011 से उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की और साल 2012 से प्रतियोगिताओं में मेडल लाना शुरू कर दिया.