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लोकतंत्र की पिच पर लंबी पारियों का रहा है वैशाली में रिवाज, जानें क्या कहता है लोकसभा का समीकरण? - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

लोकतंत्र की जननी वैशाली लोकसभा में सियासत की पिच पर लंबी पारियां खेले जाने का रिवाज रहा है. यहां के युवा विकास, खेल को बढ़ावा और रोजगार को तवज्जो देते आए हैं. वैशाली का इतिहास वैसे तो बहुत पुराना है लेकिन अब यह पुरातन सीट भी जातीय समीकरणों के पचड़े में उलझकर रह गई है. इस खबर में समझेंगे कि वैशाली किन मायने में खास है? और बिहार की राजनीति में इसका ओहदा क्या है? पढ़ें पूरी खबर-

LOK SABHA ELECTION 2024
LOK SABHA ELECTION 2024

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 4, 2024, 6:01 AM IST

Updated : Apr 18, 2024, 7:19 PM IST

वैशाली : दुनिया को गणतंत्र का ज्ञान देने वाली वैशाली की धरती खास तौर से महत्वपूर्ण है. वैशाली लोकसभा में जहां वैशाली जिले का एक मात्र विधानसभा वैशाली शामिल है, वहीं पांच अन्य विधानसभा मुजफ्फरपुर जिले की आती हैं. देश को गरीब कल्याण की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) की सौगात डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह ने दी थी जो वैशाली से सांसद थे. उन्होंने लगातार पांच बार बतौर सांसद वैशाली का नेतृत्व किया.

नेतृत्व क्षमता : पर्यटन की दृष्टिकोण से भी वैशाली बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि महावीर की जन्मस्थली और भगवान बुद्ध की कर्मस्थली रही है. वैशाली का अपेक्षाकृत विकास उतना नहीं हो पाया जितना स्थानीय जनता चाहती है. वैशाली लोकसभा में लंबी पारी खेलने का एक रिवाज रहा है. पिछले कुछ चुनाव को छोड़ दें तो लगातार यहां के सांसद नेतृत्व करते रहे हैं.

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वैशाली की शख्सियत: यहां से जहां पांच बार डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह ने नेतृत्व किया. वहीं शुरुआती दौर में दिग्विजय नारायण सिंह ने बतौर वैशाली सांसद का नेतृत्व किया. यही नहीं दिग्विजय नारायण सिंह ने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय संसदीय दल का प्रतिनिधित्व कर क्षेत्र का मन बढ़ाया था. इन दोनों शख्सियतों की वैशाली की सियासी पिच पर लंबी पारी रही है.

पार्टियों को मिला मतदान प्रतिशत : वैशाली लोकसभा सीट 1952 से 1977 तक अस्तित्व में नहीं थी. 1977 में दिग्विजय नारायण सिंह सांसद चुने गए. 2019 में मिले मतदान पर गौर करें तो यहां 52.87 प्रतिशत लोजपा को मत प्राप्त हुआ था. वहीं राष्ट्रीय जनता दल को 31.04% जबकि अन्य दलों को 16.09% मत प्राप्त हुआ था. यहां से बीना देवी सांसद चुनी गई थीं.

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वैशाली में वर्चस्व : स्थानीय लोगों का कहना है कि दुनिया को गणतंत्र का पाठ पढ़ने वाली वैशाली को अभी भी तरक्की का इंतजार है. जातीय समीकरण की बात करें तो वैशाली लोकसभा के चार विधानसभा क्षेत्र में भूमिहार वोटरों का वर्चस्व है. वहीं दो विधानसभा क्षेत्र में राजपूत वोटरों का वर्चस्व है. इसके बाद यादव, अति पिछड़ा, मुसलमान और कुर्मी कोइरी व बनिया समाज का वोट आता है. वहीं वैशाली लोकसभा में निषाद वोटर भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

वैशाली के मुद्दे: वैशाली लोकसभा क्षेत्र में शामिल वैशाली विधानसभा आज भी समुचित विकास का इंतजार है. खासकर पर्यटन की दृष्टिकोण से. इसके अलावा वैशाली लोकसभा क्षेत्र में युवा खिलाड़ियों के लिए कोई भी स्टेडियम का नहीं होना एक अहम मुद्दा हो सकता है. बिहार में क्रिकेट की मान्यता मिलने के बाद यहां के क्रिकेट प्रेमी एक स्टेडियम चाहते हैं.

वैशाली में कुल मतदाता : वैशाली लोकसभा क्षेत्र में कुल 18 लाख 49 हजार 054 मतदाता हैं. जिसमें पुरुष वोटरों की संख्या 9 लाख 74 हजार 504 है. वहीं महिला वोटर 8 लाख 74 हजार 475 है जबकि थर्ड जेंडर के भी 75 वोटर हैं. वैशाली लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें वैशाली, पारू, कांटी, बरुराज, साहेबगंज व मीनापुर शामिल है.

वैशाली में मतदाता : वैशाली लोकसभा में 55 फ़ीसदी मतदाता युवा है जिनमें 18 से 19 वर्ष के मतदाता 1.3%, 20 से 29 वर्ष के मतदाता 21.4%, 30 से 39 वर्ष के मतदाता 33.01%, जबकि 80 वर्ष से ऊपर के मतदाता 2.1 प्रतिशत हैं. वहीं दिव्यांग मतदाता 0.08% हैं. वैशाली लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्रिमंडल में नेतृत्व करने वाले एकमात्र सांसद डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह बने. वे तीन बार केंद्रीय मंत्री रहे.

रघुवंश प्रसाद और मनरेगा : पहली बार डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह 1996 में पशुपालन एवं डेयरी उद्योग राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार में बने. फिर 1997 में खाद एवं उपयोगिता राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार में बने. वहीं मनमोहन सिंह की सरकार में 2004 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए उन्होंने मनरेगा की शुरुआत की.

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वैशाली का चुनावी इतिहास : 1977 लोकसभा चुनाव में दिग्विजय नारायण सिंह ने वैशाली का नेतृत्व किया. इसके बाद जनता पार्टी की ओर से 1980 में किशोरी सिन्हा वैशाली से सांसद बनीं. 1984 में किशोरी सिन्हा ने भारतीय लोकल से वैशाली का नेतृत्व किया. इसके बाद 1989 में जनता दल के टिकट से उषा सिंह सांसद बनीं, लेकिन 1991 के चुनाव में जनता दल ने शिवनारायण सिंह को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की.

वैशाली के सांसद : 1994 में लवली आनंद हुए वैशाली लोकसभा में हुए उपचुनाव में समता पार्टी से वैशाली की सांसद बनीं. इसके बाद 1996 में डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह जनता दल के टिकट पर सांसद चुने गए. डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह ने 1998, 1999, 2004 व 2009 तक लगातार वैशाली लोकसभा का नेतृत्व किया. वहीं 2014 के चुनाव में लोजपा के राम किशोर सिंह से डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह को हार का सामना करना पड़ा. जबकि 2019 में लोजपा की बीणा देवी वैशाली सांसद चुनी गई.

''अच्छा अच्छा सांसद हो, विकास हो, पर्यटक स्थल है इसलिए अच्छा विकास होना चाहिए. युवाओं के लिए रोजगार मिले, पढ़ाई लिखाई के लिए अच्छा कॉलेज हो. वैशाली में कोई ग्राउंड नहीं है. इसलिए हम लोग गाछी में खेल रहे हैं. उम्मीद है कि अच्छा स्टेडियम बने ताकि हम लोग खेलने के लिए डिमांड है कि शिक्षा और खेल की व्यवस्था हो.''- कुंदन कुमार, स्थानीय.

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Last Updated : Apr 18, 2024, 7:19 PM IST

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