खूंटीः भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण जंगली जानवरों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जंगलों में निवास करने वाले हाथी अपना कॉरिडोर तोड़ कर आबादी वाले इलाके में प्रवेश कर रहे हैं. इस कारण इंसानों का जीना दूभर हो गया है. खुद को जिंदा रखने के जद्दोजहद में हाथियों का झुंड ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर रहा है. इस दौरान हाथियों का झुंड घरों को तोड़कर अनाज खा कर अपनी भूख मिटा रहे हैं और गांव के कुएं से पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. क्योंकि जंगलों में उन्हें न तो खाना मिल रहा है और न ही पानी. इधर, वन विभाग हाथियों के खाने-पीने के लिए करोड़ों खर्च करने का दावा कर रहा है. इसके बावजूद हाथी भूखे और प्यासे हैं.
प्रमंडलीय क्षेत्र में 50 से अधिक हाथी हैं मौजूद
खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के रनिया में आठ से अधिक हाथी हैं. जिसमें कर्रा में चार, तोरपा इलाके में चार से पांच हाथी और तमाड़ रेंज में 12 से अधिक हाथी निवास करते हैं. प्रमंडलीय क्षेत्र में लगभग 50 से अधिक हाथी वर्तमान में जंगलों में रहते हैं.
हाथियों के भरण-पोषण के लिए पिछले वर्ष वन विभाग ने 68 लाख रुपये किए थे खर्च
हाथियों के भरण-पोषण के लिए वन विभाग ने पिछले वर्ष कुल 68 लाख खर्च किए थे. जिसमें 56 लाख की लागत से 7 चेक डैम, आठ लाख की लागत से एक तालाब और 12 लाख की लागत से 15 चुआं का निर्माण कराया गया था. जबकि हाथियों के खाने के लिए सैकड़ों एकड़ भूमि पर फलदार पेड़-पौधे सहित विभिन्न प्रकार के पेड़ लगाए गए. इसके बावजूद भी आज भी हाथी भूखे-प्यासे भटकने को विवश हैं.
इस साल भी लाखों रुपये खर्च करने की है योजना
वहीं चालू वित्तीय वर्ष में भी खूंटी वन प्रमंडल की ओर से 40 लाख रुपये की लागत से चार तालाब और 20 लाख के दो तालाब बनाने जा रहा है. 12 लाख की लागत से 15 चुआं और जंगलों में पौधरोपण कराने की योजना है. इसके तहत जंगलों में बांस, फलदार पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, ताकि जंगलों में निवास करने वाले हाथियों का झुंड जंगल में ही रहे और वनोपज खाकर अपनी भूख और प्यास बुझा सके. लेकिन आज बेजुबान हाथी ग्रामीणों के निवाले से अपनी भूख मिटाने को मजबूर है.
भूख मिटाने के लिए आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं हाथी