पलामू:रेड कॉरिडोर का जिक्र होने के साथ ही माओवादियों के उस इलाके की तस्वीर उभरती है, जहां सब कुछ माओवादियों के फरमान पर निर्भर करता था. माओवादियों के फरमान के बाद लोग वोट नहीं देते थे. अब उस इलाके में बदलाव की बयार बह रही है. लोगों को अब लाल फरमान की चिंता नहीं है, बल्कि ब्लू स्याही लगाने के लिए लोग उत्साहित हैं.
रेड कॉरिडोर कहे जाने वाले इलाके के लोग अब बुलेट का जवाब बैलेट से देना चाह रहे हैं. पलामू लोकसभा क्षेत्र भी रेड कॉरिडोर जोन का हिस्सा रहा है. कई दशक तक माओवादी यहां वोट बहिष्कार का फरमान जारी करते रहे थे. उनके फरमान के बाद कई इलाकों के लोग वोट देने नहीं जाते थे. अब उस इलाके में बंपर वोटिंग की तैयारी हो रही है.
कई इलाकों में दशकों बाद बनाया गया है मतदान केंद्र, पहली बार होगा चुनाव प्रचार
पलामू लोकसभा क्षेत्र में कई इलाकों में दशकों के बाद मतदान केंद्र बनाया गया है. कई इलाकों में मतदान केंद्रों को रीलोकेट नहीं किया जा रहा है. माओवादियों के वोट बहिष्कार के कारण झारखंड बिहार सीमा और बूढ़ा पहाड़ के इलाके में कई मतदान केंद्रों को रीलोकेट किया जाता था. बूढ़ा पहाड़ के हेसातु समेत कई इलाकों में 30 वर्षों के मतदान केंद्र बनाया गया है. झारखंड बिहार सीमा पर मौजूद कई मतदान केंद्रों पर पहली बार पोलिंग पार्टी पैदल जाने वाली है.
'नक्सल प्रभावित इलाकों में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की जा रही है ताकि लोग अधिक से अधिक वोटिंग कर सकें. इलाके में बदलाव हुआ है और सुरक्षित माहौल भी तैयार हुआ है. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में काफी बदलाव हुए हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए योजना तैयार की गई है '- वाईएस रमेश , डीआईजी, पलामू
बूढ़ा पहाड़ और झारखंड बिहार सीमा पर माओवादी सबसे अधिक वोट बहिष्कार के फरमान जारी करते थे और हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे. माओवादियों के फरमान बूढ़ा पहाड़, भंडरिया, पिपरा, हरिहरगंज, नौडीहा बाजार,पांडु और हुसैनाबाद के कई इलाकों में प्रचार भी प्रभावित होती थी. पलामू नौडीहा बाजार के रहने वाले सुरेंद्र यादव ने बताया नक्सलियों के फरमान के बाद वोट देने में डर लगता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोक वोट देने को काफी उत्साहित हैं. ग्रामीण उदेश्वर ने बताया कि माहौल बदल गया है पहले जैसा माहौल नहीं है.
वोटिंग से पहले माओवादी विस्फोट कर उड़ा देते थे मतदान केंद्र, अब बदल गए हालात