रांची:राजनीतिक उठापटक और चुनावी सरगर्मियों के बीच झारखंड में कई ऐसी योजनाएं शुरू की गईं जो साल 2024 में राष्ट्रीय पटल पर सुर्खियां बटोरने में सफल रहीं. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सत्ताधारी दल की ओर से योजनाओं की झड़ी लग गई, जिसका फायदा चुनाव नतीजों में भी देखने को मिला.
जाहिर है हेमंत सरकार की ओर से सौगातों की इस बारिश का सीधा असर राज्य के खजाने पर पड़ा है, जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि सरकार इसके लिए पैसा कहां से लाएगी. इसी संदर्भ में ईटीवी भारत संवाददाता ने जाने-माने अर्थशास्त्री अयोध्या नाथ मिश्र से खास बातचीत की.
अर्थशास्त्री अयोध्या नाथ मिश्र का मानना है कि मंईयां सम्मान योजना, बिजली बिल माफी, पुरानी पेंशन योजना जैसी योजनाओं के कारण राज्य पर करीब 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ रहा है, जिसे पूरा करने के लिए कर्ज लेने के बजाय आबकारी, परिवहन, पर्यटन जैसे आंतरिक संसाधनों को विकसित कर न सिर्फ राजस्व बढ़ाया जा सकता है, बल्कि कर चोरी रोककर और अपव्यय पर ध्यान देकर भी इस चुनौती का सामना किया जा सकता है.
झारखंड सरकार की वो योजनाएं जो सुर्खियों में रहीं
मंईयां सम्मान योजना
झारखंड सरकार द्वारा चलाई जा रही यह योजना देशभर में चर्चा में है. इस योजना के तहत राज्य की करीब 60 लाख महिलाओं को लाभ मिलेगा. दिसंबर से सरकार 18 से 50 साल की महिलाओं को 1000 रुपये की जगह 2500 रुपये प्रति माह देगी. इस पर सालाना करीब 18 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
बिजली बिल माफी
प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक की खपत पर निशुल्क बिजली की सुविधा दी गई है. इस पर राज्य सरकार हर महीने 344.36 करोड़ रुपए खर्च करती है. इतना ही नहीं, सरकार ने 39.44 लाख उपभोक्ताओं का बकाया माफ करने पर 3584.24 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इसके तहत शहरी क्षेत्र के 10,16,521 उपभोक्ताओं पर जून 2024 तक 657.21 करोड़ बकाया था, जबकि 41,74,843 ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं पर 3349.80 करोड़ बकाया था.