सिरसा/भिवानी:दिवाली से पहले दीए का बाजार सज चुका है. बाजार में रंग-बिरंगे और डिजाइनर मिट्टी के दीए बिकने शुरू हो गए हैं. बात अगर सिरसा और भिवानी जिले की करें तो यहां बड़े पैमाने पर मिट्टी के दीए तैयार किए जाते हैं. पहले तो चाइनीज सामान के कारण कुम्हारों का धंधा मंदा चल रहा था. हालांकि पिछले कुछ सालों से "लोकल फॉर वोकल" का असर देखने को मिल रहा है. अब यहां के लोग में मिट्टी से बने दीए की डिमांड बढ़ी है. यही कारण है कि इस बार यहां के कुम्हारों को अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है.
मिट्टी से बने दीए की डिमांड: पिछले कुछ सालों से लोग स्वदेशी चीजों के अपना कर त्योहार मना रहे हैं. यही कारण है कि लोग चाइनीज लाइटों को छोड़ मिट्टी के दीए की ओर रूख कर रहे हैं. इससे कुम्हारों के चेहरे खिले हुए हैं. ईटीवी भारत से सिरसा के कुम्हार रमेश कुमार ने कहा कि वह पिछले 40-45 सालों से लगातार इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. अब फैंसी चीजों का जमाना आ गया है. मिट्टी के दीए या फिर अन्य वस्तुएं भी फैंसी बनाकर हम सेल कर रहे हैं. हमारा तैयार किया गया दीया पंजाब और हरियाणा के बड़े-बड़े बाजारों तक जाता है. मिट्टी के दीए की डिमांड अधिक है. डिमांड बढ़ रही है तो रेट भी बढ़ रहे हैं.
हो रहा अच्छा मुनाफा: वहीं, सिरसा के कुम्हार राजकुमार ने कहा कि पहले के मुकाबले अब मेहनत कम हो गई है, लेकिन फिर भी युवा पीढ़ी इसको सीखने में कोई भी रुचि नहीं दिखा रही. चाइनीज लाइटों के आने के बावजूद भी दीए की डिमांड कम नहीं हुई है. पहले के मुकाबले बिक्री बढ़ी है.अब मिट्टी का भी रेट बढ़ गया है. अब 3000 रुपए क्विंटल मिट्टी मिल रहा है. पहले जहां 50 पैसे प्रति दीया बिकता था. वहीं अब एक रुपए प्रति दीया बिक रहा है. हालांकि हमें ठीक-ठाक मुनाफा हो रहा है.
मिट्टी के दीए से करें घर को रोशन:वहीं, दीए की बढ़ती डिमांड के कारण भिवानी के कुम्हारों के भी चेहरे खिले हुए हैं. बाजारों में मिट्टी के दीए की डिमांड बढ़ने से इनको अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है. भिवानी में कुम्हार समाज के प्रेमनाथ प्रजापति का कहना है कि मिट्टी के दीपक के साथ मिट्टी के बने सामान भी लोगों को पसंद आ रहे हैं. दीपों के इस पर्व पर अबकी बार लोग प्रदूषण रहित दिवाली मनाने जा रहे हैं. मिट्टी के बने दीपक जलाने से प्रदूषण ना के बराबर होता है. हमारी लोगों से अपील है कि लोग चाइनीज को छोड़ स्वदेशी अपनाएं और मिट्टी के दीए से घर रोशन करें.