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चंडीगढ़ में मुख्य सचिव पद की घोषणा के बाद पंजाब की सियासत गरमाई, फैसले को बदलने की मांग - CHIEF SECRETARY POST IN CHANDIGARH

चंडीगढ़ में मुख्य सचिव के पद की घोषणा के बाद चंडीगढ़ और पंजाब की राजनीति गरमा गई है.

CHIEF SECRETARY POST IN CHANDIGARH
चंडीगढ़ में मुख्य सचिव पद की घोषणा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 16 hours ago

चंडीगढ़: केंद्र सरकार की ओर से 40 साल बाद चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार का पद खत्म करके मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया गया है. इसके बाद सभी राजनीतिक पार्टियां सरकार के इस फैसले के विरुद्ध खड़ी हो गई है. पंजाब की कई राजनीतिक पार्टियों की ओर से इस फैसले को बदलने की मांग की जा रही है.

मुख्य सचिव चुने जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल की ओर से ट्वीट करते हुए लिखा गया कि "ये फैसला चंडीगढ़ पर पंजाब के कब्जे को खत्म करता है. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा." बता दें कि चंडीगढ़ बनने के बाद यहां कमिश्नर का पद हुआ करता था, लेकिन 3 जून 1984 को इस पद को बदल दिया गया. पंजाब के गवर्नर जो कि चंडीगढ़ के प्रशासक भी हैं, उनके सलाहकार के तौर पर इस पद को रखा गया था.

आप प्रवक्ता बोले- सरकार को ये बर्दास्त नहीं : वहीं, आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता और प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार का एक पद खत्म करके चीफ सेक्रेटरी पद बनाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. ये पंजाब सरकार बर्दाश्त नहीं कर सकती है. चीफ सेक्रेटरी बन जाने पर चंडीगढ़ के प्रशासनिक सिस्टम में कई बदलाव होंगे जो पंजाब के हक को खत्म कर सकते हैं.

Chief Secretary post in Chandigarh
नील गर्ग बोले- सरकार को यह बर्दाश्त नहीं (File Photo)

"इस बात की जानकारी पंजाब सरकार को थी": वहीं, शिरोमणि अकाली दल के नेता अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के हक को चंडीगढ़ से खत्म किया है. मुख्य सचिव दो राज्यों के होते हैं. चंडीगढ़ को लेकर तो कोई सवाल नहीं है. इस पर देश की संसद और हरियाणा की विधानसभा भी मुहर लगा चुकी है कि चंडीगढ़ पंजाब का है. इन सबके बावजूद केंद्र सरकार क्यों इसे अलग राज्य का दर्जा देने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर भी सवाल खड़े किए कि केंद्र सरकार पंजाब सरकार को बताए बिना इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकती है. क्या इस बारे में पंजाब सरकार को जानकारी थी. अगर जानकारी थी तो उन्होंने पंजाबी जनता से इतनी बड़ी जानकारी कैसे छुपाई.

Chief Secretary post in Chandigarh
अर्शदीप सिंह कलेर ने पंजाब सरकार पर भी उठाया सवाल (File Photo)

अधिकारी बोले- कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा : चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि चंडीगढ़ में मुख्य सचिव की नियुक्ति के बाद कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. मुख्य सचिव का भी पद अन्य राज्यों के मुख्य सचिव के पद जैसा ही होगा. अन्य राज्यों के मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. इसी तरह मुख्य सचिव सीधा प्रशासक के अधीन रहेंगे. उन्हें रिपोर्ट करेंगे. हालांकि इस फैसले से यूटी कैडर का दबदबा बढ़ना तय है.

इसे भी पढ़ें : चंडीगढ़ में एडवाइजर का पोस्ट हुआ खत्म, अब होंगे मुख्य सचिव, 40 साल बाद हुआ बदलाव

चंडीगढ़: केंद्र सरकार की ओर से 40 साल बाद चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार का पद खत्म करके मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया गया है. इसके बाद सभी राजनीतिक पार्टियां सरकार के इस फैसले के विरुद्ध खड़ी हो गई है. पंजाब की कई राजनीतिक पार्टियों की ओर से इस फैसले को बदलने की मांग की जा रही है.

मुख्य सचिव चुने जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल की ओर से ट्वीट करते हुए लिखा गया कि "ये फैसला चंडीगढ़ पर पंजाब के कब्जे को खत्म करता है. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा." बता दें कि चंडीगढ़ बनने के बाद यहां कमिश्नर का पद हुआ करता था, लेकिन 3 जून 1984 को इस पद को बदल दिया गया. पंजाब के गवर्नर जो कि चंडीगढ़ के प्रशासक भी हैं, उनके सलाहकार के तौर पर इस पद को रखा गया था.

आप प्रवक्ता बोले- सरकार को ये बर्दास्त नहीं : वहीं, आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता और प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार का एक पद खत्म करके चीफ सेक्रेटरी पद बनाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. ये पंजाब सरकार बर्दाश्त नहीं कर सकती है. चीफ सेक्रेटरी बन जाने पर चंडीगढ़ के प्रशासनिक सिस्टम में कई बदलाव होंगे जो पंजाब के हक को खत्म कर सकते हैं.

Chief Secretary post in Chandigarh
नील गर्ग बोले- सरकार को यह बर्दाश्त नहीं (File Photo)

"इस बात की जानकारी पंजाब सरकार को थी": वहीं, शिरोमणि अकाली दल के नेता अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के हक को चंडीगढ़ से खत्म किया है. मुख्य सचिव दो राज्यों के होते हैं. चंडीगढ़ को लेकर तो कोई सवाल नहीं है. इस पर देश की संसद और हरियाणा की विधानसभा भी मुहर लगा चुकी है कि चंडीगढ़ पंजाब का है. इन सबके बावजूद केंद्र सरकार क्यों इसे अलग राज्य का दर्जा देने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर भी सवाल खड़े किए कि केंद्र सरकार पंजाब सरकार को बताए बिना इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकती है. क्या इस बारे में पंजाब सरकार को जानकारी थी. अगर जानकारी थी तो उन्होंने पंजाबी जनता से इतनी बड़ी जानकारी कैसे छुपाई.

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अर्शदीप सिंह कलेर ने पंजाब सरकार पर भी उठाया सवाल (File Photo)

अधिकारी बोले- कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा : चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि चंडीगढ़ में मुख्य सचिव की नियुक्ति के बाद कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. मुख्य सचिव का भी पद अन्य राज्यों के मुख्य सचिव के पद जैसा ही होगा. अन्य राज्यों के मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. इसी तरह मुख्य सचिव सीधा प्रशासक के अधीन रहेंगे. उन्हें रिपोर्ट करेंगे. हालांकि इस फैसले से यूटी कैडर का दबदबा बढ़ना तय है.

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