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आस्था का धाम करणपुर का दुर्गा मंदिर, यह है कहानी - Durga temple of Karanpur

करणपुर के नग्गी गांव में बने दुर्गा मंदिर की अदृश्य शक्ति ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान की थी सीमा की हिफाजत

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 4 hours ago

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Durga temple of Karanpur
सीमा का रक्षक है सरहद पर बना करणपुर का दुर्गा मंदिर (Photo ETV Bharat Jaipur)

श्रीगंगानगर:देश की सरहद को सुरक्षित रखने में सेना के जवान तो अपनी भूमिका निभाते ही है, लेकिन सुरक्षा के साथ साथ आस्था भी इसमें अपनी विशेष भूमिका निभाती है. भारत-पाक सीमा के निकट दो मंदिर ऐसे हैं, जिनकी आस्था और चमत्कार के चर्चे दूर-दूर तक फैले हैं. इनमें एक जैसलमेर जिले का तनोट माता मंदिर है. वहीं, दूसरा मंदिर श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर इलाके की नग्गी पोस्ट पर है. देखिए ये रिपोर्ट...

आस्था का धाम करणपुर का दुर्गा मंदिर (Video ETV Bharat Jaipur)

जिले के करणपुर इलाके का नग्गी गांव भारत पाकिस्तान सीमा से महज डेढ़ किलोमीटर दूरी पर है. सरहद पर दुर्गा मां का मंदिर बना हुआ है जो आस्था का विशेष का केंद्र है. इस मंदिर की स्थापना के बारे में बताते हुए पुजारी मोहनलाल ने बताया कि जब इस मंदिर का निर्माण हुआ तो वे सोलह वर्ष के थे.

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सेना ने बनवाया मंदिरःउन्होंने बताया कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 18 दिसम्बर को युद्ध समाप्त हो गया था, लेकिन पाकिस्तान ने धोखा करते हुए 21 दिसम्बर को एक बार फिर से आक्रमण कर दिया. जब पैरा बटालियन के 22 जवान दुश्मन पर आक्रमण के लिए बढ़ रहे थे तो पाकिस्तान द्वारा बिछाई गई माइंस से 21 जवान शहीद हो गए, लेकिन एक जवान को माता ने दर्शन दिए और आगे का रास्ता दिखाया. ठीक इसी जगह पर सेना द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया और शहीद जवानों की याद में एक स्मारक भी बनाया गया.

ग्रामीणों ने संभाला था मोर्चाःनग्गी गांव के पूर्व सरपंच रणजीत सिंह साहू ने बताया कि इस युद्ध के दौरान ग्रामीणों ने सेना का साथ दिया और गांव को खाली नहीं किया. उन्होंने बताया कि जब भारतीय सेना वापस लौट गई थी और पाकिस्तानी सेना ने धोखे से आक्रमण किया तो भारतीय सेना के सरहद पर पहुंचने तक ग्रामीणों ने मोर्चा संभाला और ट्रैक्टरों के साइलेंसर निकाल कर तेज आवाज में ट्रैक्टर चलाए और दुश्मन को लगा कि भारतीय टैंक और सेना पहुंच गई है और दो दिन तक दुश्मन को रोके रखा. मंदिर में दर्शन करने आए लोगों का कहना है कि इस मंदिर में आकर उन्हें सुकून मिलता है. यहां हर मनोकामना पूरी होती है. बता दें कि इस मंदिर का रखरखाव सेना करती है और पिछले साल जनप्रतिनिधियों और सेना के माध्यम से मंदिर का जीर्णोद्वार भी करवाया गया है.

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